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पाकिस्तान को सत्ता का निष्पक्ष, शांतिपूर्ण परिवर्तन सुनिश्चित करना चाहिए: ह्यूमन राइट्स वॉच

Pakistan elections 2024 : अभी पाकिस्तान में नई सरकार का गठन भी नहीं हुआ है और उसकी वैध होने पर सवाल उठने लगे हैं. यूके की कई संस्थाओं ने पहले ही पाकिस्तान की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किये हैं. अब ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि चुनाव आयोग पाकिस्तान को चुनाव अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए.

Pakistan elections 2024
प्रतिकात्मक तस्वीर. (AP)

By ANI

Published : Feb 13, 2024, 9:49 AM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में सरकार गठन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच बातचीत और पीटीआई की ओर से धांधली के आरोपों के बीच, ह्यूमन राइट्स वॉच ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों को 8 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय संसदीय चुनावों के बाद सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करना चाहिए. ह्यूमन राइट्स वॉच कि ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग को तुरंत आधिकारिक परिणामों की घोषणा करनी चाहिए. सभी राजनीतिक दलों और हितधारकों को लोकतांत्रिक मानदंडों को बनाए रखने और कथित चुनाव अनियमितताओं की स्वतंत्र जांच में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए.

अभिव्यक्ति और संगठन की स्वतंत्रता पर व्यापक प्रतिबंध के कारण पाकिस्तान के आम चुनाव प्रभावित हुए है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के समर्थकों की सामूहिक हिरासत और उत्पीड़न, जिसमें उसके चुनाव चिन्ह के उपयोग पर प्रतिबंध भी शामिल है, ने निष्पक्ष मतदान को कमजोर कर दिया. संस्था की ओर से कहा गया है कि इस कदम से सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर प्रदान करने में बाधा उत्पन्न की.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपने बयान में कहा कि अधिकारियों ने चुनाव के दिन सेल फोन सिग्नल बंद करके और चुनाव परिणामों की घोषणा में देरी करके चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को और नुकसान पहुंचाया. ह्यूमन राइट्स वॉच की समाचार विज्ञप्ति के अनुसार, कई उम्मीदवारों ने कुछ स्थानों पर वोट में धांधली का आरोप लगाया है.

ह्यूमन राइट्स वॉच के एसोसिएट एशिया निदेशक पेट्रीसिया गॉसमैन ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार को चुनाव परिणामों का सम्मान करना चाहिए और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में गहराते मानवाधिकार और आर्थिक संकट एक प्रतिनिधि सरकार की आवश्यकता को उजागर करते हैं जो मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देगी.

बयान के मुताबिक, 8 फरवरी को हुए मतदान में किसी भी पार्टी को साधारण बहुमत हासिल नहीं हुआ. इसके बजाय, परिणाम तीन प्रमुख राजनीतिक दलों: पीटीआई, पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन), और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच विभाजित हो गए हैं. जब तक कोई स्वीकृत समाधान नहीं हो जाता, मौजूदा गतिरोध विरोध का कारण बन सकता है. पाकिस्तानी अधिकारियों को आवश्यक न्यूनतम बल के साथ हिंसा के कृत्यों का जवाब देते हुए शांतिपूर्ण सभा के अधिकार को बरकरार रखना चाहिए.

यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने सभी राजनीतिक दलों के लिए चुनावों की मौलिक निष्पक्षता के बारे में चिंता व्यक्त की है और चुनाव अनियमितताओं के दावों की जांच का आह्वान किया है. संस्था की ओर से जारी समाचार विज्ञप्ति में कहा गया है कि चुनाव से पहले, विपक्षी दलों, मुख्य रूप से जेल में बंद पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई, साथ ही अन्य विपक्षी दलों पर सरकार की कार्रवाई के परिणामस्वरूप सैकड़ों लोगों को कुछ को हिंसा के आरोप में हिरासत में लिया गया है.

पत्रकारों ने आरोप लगाये हैं कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं. इसके साथ ही उन्हें सरकार की कथित आलोचना के लिए अधिकारियों की ओर से उत्पीड़न और निगरानी का सामना करना पड़ रहा है. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि इन मानवाधिकार चुनौतियों को एक ऐसी सरकार की ओर से संबोधित करने की जरूरत होगी. जिसके पास देश और विदेश दोनों जगह वैधता हो. देश के सामने मौजूद मानवाधिकार चुनौतियों के बीच, आने वाली संसद को राजनीतिक भागीदारी में संरचनात्मक बाधाओं को दूर करने और चुनावी प्रक्रिया में अनुचित हस्तक्षेप से बचाव के लिए चुनावी सुधारों को अपनाना चाहिए.

गॉसमैन ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रिया में स्वतंत्र अभिव्यक्ति और सहयोग पर पाकिस्तानी सरकार की बार-बार की गई कार्रवाई ने देश के चुनावों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने आगे कहा कि चुनावों में राजनीतिक हेरफेर को समाप्त करने के लिए लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया में वास्तविक सुधार की आवश्यकता है.

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