नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फैसले में कहा कि राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारी सीमा शुल्क अधिनियम के तहत 'उचित अधिकारी' हैं, और उन्हें अधिनियम के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करने, कारण बताओ नोटिस जारी करने और शुल्क वसूलने का अधिकार है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह फैसला सुनाया. पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने सिर्फ कैनन इंडिया के फैसले से उत्पन्न मुद्दों पर विचार किया है. पीठ ने कहा कि उसने 2022 वित्त अधिनियम प्रावधानों के लिए किसी अन्य लंबित चुनौती पर कोई योग्यता की अभिव्यक्ति पेश नहीं की है.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कैनन निर्णय (2021) में माना था कि केवल माल की निकासी के लिए मूल रूप से जिम्मेदार सीमा शुल्क अधिकारी ही ऐसे नोटिस जारी कर सकते हैं, जिससे डीआरआई अधिकारियों की तरफ से जारी किए गए नोटिस अमान्य हो जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट की इस व्याख्या के बाद देश भर की अदालतों और न्यायाधिकरणों द्वारा डीआरआई की तरफ से जारी कई नोटिस खारिज कर दिए गए.
सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला केंद्र सरकार और डीआरआई के लिए बड़ी राहत है, क्योंकि वे कई लंबित कर वसूली मामलों को आगे बढ़ा सकते हैं, जो कानूनी चुनौतियों के कारण अधर में लटके हुए थे. इन कर वसूली मामलों में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि शामिल होने का अनुमान है.