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NEET UG: विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने में असफल भारतीय संस्थान, एक हजार भी नहीं देते परीक्षा - Foreign students in NEET UG

एनटीए की ओर से आयोजित होने वाली नीट यूजी में लगातार प्रयासों के बावजूद विदेशी विद्यार्थियों की संख्या निराशाजनक रही है. दूसरी ओर भारतीय विद्यार्थी विदेशों में पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में जाते रहते हैं.

Number of foreign students in NEET UG is very less
नीट यूजी में विदेशी विद्यार्थियों की संख्या बेहद कम (ETV Bharat Kota)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 4, 2024, 10:27 PM IST

Updated : May 5, 2024, 6:59 AM IST

कोटा.भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय व नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के लगातार प्रयासों के बावजूद भारतीय मेडिकल संस्थान विदेशी विद्यार्थियों को अंडर ग्रेजुएट मेडिकल शिक्षा के लिए आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं. देश के मेडिकल संस्थानों में संचालित एमबीबीएस कोर्स में विदेशी विद्यार्थियों का प्रवेश भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी के तहत ही किया जाता है.

एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि एनटीए के पिछले 5 सालों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो पता चलता है कि नीट यूजी में भाग लेने वाले विदेशी विद्यार्थियों की संख्या पिछले 5 सालों में एक हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है. विदेशी विद्यार्थियों की यह संख्या बताती है कि देश की अंडर-ग्रेजुएट मेडिकल शिक्षा यानी एमबीबीएस-डिग्री के प्रति विदेशी-कैंडिडेट में कोई विशेष रुचि है. देव शर्मा ने बताया कि एक और जहां हम विदेशी कैंडिडेट को आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बड़ी-संख्या में हमारे देश के विद्यार्थी चीन, रूस, कजाकिस्तान व यूक्रेन जैसे देशों में पढ़ने जाते हैं.

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देव शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय व नेशनल मेडिकल कमिशन (NMC) को इसके ​लिए विशेष नीति बनानी चाहिए. एम्स-दिल्ली, जिप्मेर-पुडुचेरी, आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज (AFMC) पुणे व इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (IMS) बीएचयू जैसे श्रेष्ठ भारतीय मेडिकल संस्थानों की मेडिकल शिक्षा की क्वालिटी को विदेशों में प्रचार-प्रसार करना चाहिए. साथ ही भारतीय विद्यार्थी विदेशों में पलायन नहीं करें, इसके लिए भी ठोस प्रयास करने होंगे.

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नेशनलिटी में बदलाव कर उठा रहे हैं फायदा: देव शर्मा ने बताया कि नीट यूजी में सम्मिलित होने वाले 'नान रेसिडेंट इंडियंस' यानी एनआरआई कैंडिडेट की संख्या भी बहुत ज्यादा नहीं है. साल 2023 में महज 852 एनआरआई कैंडिडेट नीट यूजी 2023 में सम्मिलित हुए. पिछले 5 सालों में नीट यूजी में शामिल होने वाले एनआरआई कैंडिडेट की यह न्यूनतम संख्या है. देव शर्मा ने बताया कि देश के मेडिकल संस्थानों में एनआरआई कैंडिडेट के लिए उपलब्ध एमबीबीएस सीटों की संख्या नीट यूजी में शामिल होने वाले कैंडिडेट की संख्या के सापेक्ष कहीं अधिक है.

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यही कारण है कि एनआरआई-कोटा की एमबीबीएस-सीटों को आवंटित करने के लिए मेडिकल काउंसलिंग कमेटी नेशनलिटी में बदलाव के लिए भारतीय विद्यार्थियों को मौका दिया जाता है. इस दौरान कई पात्र भारतीय विद्यार्थी अपनी नेशनलिटी कैटेगरी 'इंडियन' से बदलकर 'एनआरआई' कर लेते हैं और नीट यूजी ऑल इंडिया रैंक 'लाखों' में होने पर भी एमबीबीएस सीट प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं. जबकि इस प्रक्रिया से कई प्रतिभाशाली विद्यार्थी बेहतर नीट यूजी ऑल इंडिया रैंक होने के बाद भी एमबीबीएस सीट प्राप्त नहीं कर पाते.

ये हैं विदेशी अभ्यर्थियों के आंकड़े: साल 2023 में 786 विदेशी विद्यार्थी नीट यूजी में शामिल हुए. यह आंकड़ा साल 2022 में 771 रहा. वहीं साल 2021 में 883 विदेशी विद्यार्थियों ने नीट यूजी में भाग्य आजमाया. साल 2020 में 878 विदेशी स्टूडेंट्स ने नीट यूजी में पार्टिसिपेट किया. साल 2019 में विदेशी विद्यार्थियों की नीट यूजी में संख्या महज 687 ही रही. वहीं एनआरआई विद्यार्थियों की संख्या 2019 में 1884, 2020 में 1869, 2021 में 1054, 2022 में 910 और 2023 में 852 रही.

Last Updated : May 5, 2024, 6:59 AM IST

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