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माओवादियों को महिला दस्ता देने वाले गांव में पैदल पहुंचे मंत्री राधाकृष्ण किशोर, खुलेगा वर्षो से बंद स्कूल - MINISTER RADHAKRISHNA KISHORE

मंत्री राधाकृष्ण किशोर पलामू के पाल्हे तुरकुन गांव पहुंचे. आजादी के बाद वो पहले मंत्री हैं जो दोनों गांव गए.

Minister Radhakrishna Kishore reached Palhe Turkun village of Palamu
मंत्री राधाकृष्ण किशोर पलामू के पाल्हे तुरकुन गांव पहुंचे (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 10 hours ago

Updated : 9 hours ago

पलामूः माओवादियों को महिला दस्ता देने वाले गांव पाल्हे तुरकुन में मंत्री राधाकृष्ण किशोर शुक्रवार को पैदल पहुंचे. दोनों गांव में जाने के लिए करीब डेढ़ घंटे के पहाड़ की चढ़ाई करनी पड़ती है. पाल्हे तुरकुन पलामू के नौडीहा बाजार प्रखंड के अंतर्गत है. यह इलाका मंत्री राधाकृष्ण किशोर के विधानसभा के अंतर्गत आता है. आजादी के बाद राधाकृष्ण किशोर ऐसे पहले जनप्रतिनिधि हैं जो दोनों गांव में गए हैं.

विधायक एवं मंत्री बनने के बाद सबसे पहले राधाकृष्ण किशोर दोनों गांव में पहुंचे और ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित किया. इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने रोड, पानी, बिजली और स्कूल की अपनी समस्याओं को रखा है. ग्रामीणो के साथ राधाकृष्ण किशोर ने करीब एक घंटे तक संवाद किया.

पलामू के पाल्हे तुरकुन गांव में मंत्री राधाकृष्ण किशोर (ईटीवी भारत)
इलाके के बंद स्कूलों को खोला जाएगा, बनाई जाएगी पक्की सड़क

पाल्हे, तुरकुन, गुआदाग, रतनाग, सीढा गांव का स्कूल 2016-17 से बंद है. इन स्कूलों को फिर से खोला जाएगा. मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने ग्रामीणों के साथ संवाद स्थापित करते हुए कहा कि इलाके के स्कूलों को खोला जाएगा. पूरे मामले में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं एवं ग्राम शिक्षा समिति का भी अनुमोदन हुआ है. उन्होंने कहा कि यह वोट की राजनीति नहीं है, चुनाव के दौरान वोट लेने के लिए इन गांवों में नहीं गए थे, लेकिन मंत्री बनने के बाद इन गांव में सबसे पहले पहुंचे है. इलाके के लोगों को वोट देने के लिए भी पहाड़ों का सफर तय करते हुए दूर जाना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि कई ऐसे गांव हैं जहां कम्युनिकेशन बेहतर नहीं है, इसे दुरुस्त किया जाएगा. मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि पक्की सड़क बनाई जाएगी. मामले में वन विभाग के साथ संबंध स्थापित करने को कहा गया है. मंत्री ने अधिकारियों की कार्यशाली पर चिंता जताते हुए कहा कि बीडीओ एवं सीओ वर्ष में एक बार भी आते तो ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान हो जाता. आधार लिंक नहीं होने के कारण ग्रामीणों को मंईयां योजना तक कभी लाभ नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि उनके इसे दौरे की मानवीय पहल भी है. अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मिलकर समस्याओं का समाधान कर सकते हैं.

2018 में महिला नक्सलियों को लेकर चर्चा में आया था गांव

2018 में पलामू में दो अलग-अलग मुठभेड़ में दो महिला नक्सली मारी गई थी जबकि चार गिरफ्तार हुई थी. सभी महिला नक्सलियों का संबंध पाल्हे तुरकुन से था. गांव में लकड़ी चुनने गई लड़कियों को माओवादियों ने अपने दस्ते में शामिल कर लिया था. महिला नक्सलियों के मारे जाने और पकड़े जाने के बाद पूरा इलाका चर्चा में आया था. 2018 के बाद इंद्रजीत महथा पहले एसपी थे जो दोनों गांव में गए थे. दोनों गांव में आदिम जनजाति की आबादी रहती है. गांव में जाने के लिए करीब दो किलोमीटर तक पहाड़ की सीधी चढ़ाई है. यह इलाका मनातू नावा जयपुर, छतरपुर एवं नौडीहा बाजार सीमावर्ती क्षेत्र से सटा हुआ है.

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