छत्तीसगढ़ में पहली बार आकाश मार्ग से मिलेगी दवाई, समझिए पूरा प्रोसेस - Drones in HealthCare
Ambikapur Medicine delivery by drone: अंबिकापुर में अब आपात स्थिति में मेडिसिन और सैंपल आकाश मार्ग से पहुंचाएं जाएंगे. इसका सोमवार को ट्रायल किया गया. ड्रोन के जरिए दवाई पहुंचाने की व्यवस्था की गई है. छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हो रहा है जब आकाश मार्ग से दवाई पहुंचाई जा रही है.
छत्तीसगढ़ में पहली बार आकाश मार्ग से पहुंचाई जाएगी दवाई
अंबिकापुर: अक्सर ऐसा देखने और सुनने को मिलता है कि ट्रैफिक के कारण दवा पहुंचने में देर हो गई. कई बार दवा समय पर न मिलने पर लोगों की जान भी चली जाती है. ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए अंबिकापुर में एक खास टेक्निक डेवलप की गई है. इस टेक्निक से लोगों के पास समय से दवाईयां और सैंपल पहुंचाई जा सकेगी.
ड्रोन के माध्यम से पहुंचायी जाएगी दवा: अम्बिकापुर में स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा किया गया है. अब इमरजेंसी में ड्रोन से दवाइयां और सैम्पल पहुंचाए जाने की योजना बनाई जा रही है. सोमवार को इसका सफल ट्रायल किया गया. ट्रायल के दौरान ड्रोन अम्बिकापुर से उदयपुर तक 40 किलोमीटर का सफर तय कर वापस लौटा. ये ड्रोन वापस उदयपुर से अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज तक लाया गया. अंबिकापुर के राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का चयन ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर सेक्टर के लिए किया गया था. भारत सरकार ने देश के 25 मेडिकल कॉलेज का चयन इस टेक्नोलॉजी के लिए किया है, इसमें सरगुजा के मेडिकल कॉलेज का नाम भी शामिल हो गया है.
महिला समूहों को दी गई ट्रेनिंग: इस खास टेक्नोलॉजी का उपयोग यातायात बाधित होने, आपदा के दौरान दवा और सैम्पल पहुंचाने के लिए किया जाएगा. इसके पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन महीने के लिए सीएचसी उदयपुर से मेडिकल कॉलेज तक इसका संचालन किया जाना है. इस ड्रोन टेक्नोलॉजी का उपयोग करने के लिए टीम को विशेष प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा गया था. महिला समूहों को ड्रोन चलाने सहित पूरी प्रोसेस की ट्रेनिंग दी गई है.
विषम परिस्थितियों में तकनीक होगी कारगर:भारत सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार नए-नए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में अब भारत सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए अत्याधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया है. इस योजना का उद्देश्य आपदा-विपदा के समय लोगों को समय पर राहत पहुंचाना है. प्रायः यह देखा जाता है कि यातायात बाधित होने, हड़ताल, सड़क दुर्घटना की स्थिति में सैम्पल, दवा, किट्स इत्यादि की सप्लाई बाधित होती है. यह पायलट प्रोजेक्ट उसी दिशा में टेस्टिंग इत्यादि नियंत्रित करने में सार्थक पहल होगी. इसके साथ ही कोरोना जैसी महामारी की स्थिति में यह बहुत कारगर और प्रभावी कदम साबित होगा.
मेडिकल कॉलेज का चयन ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर के रूप में होना गर्व की बात है. पायलट प्रोजेक्ट के लिए ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया से एमओयू के बाद महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजा गया था. पायलट प्रोजेक्ट के लिए सीएचसी उदयपुर और मेडिकल कॉलेज के बीच इसका संचालन किया जाना है. आज ड्रोन उड़ाकर ट्रायल किया गया है. सफल ट्रायल के बाद उम्मीद है कि जल्द ही हम इसे शुरू कर पाएंगे. -डॉ आर मूर्ति, डीन, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ड्रोन टेक्नोलॉजी इन हेल्थ केयर सेक्टर के लिए देश के 25 मेडिकल कॉलेज का चयन किया गया है. इस सूची में राजमाता श्रीमती देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय का नाम भी शामिल है. दूरस्थ आदिवासी अंचल होने के कारण इस मेडिकल कॉलेज का चयन किया गया है. हालांकि भारत सरकार की ओर से सरगुजा में उपलब्ध लैब और जांच सुविधाओं की जानकारी मंगवाई गई थी, लेकिन इसके आगे कॉलेज का चयन, सीएचसी से मेडिकल कॉलेज की मैपिंग भारत सरकार ने स्वयं ही की है. इसके बाद सूची में सरगुजा का नाम शामिल किया गया. बड़ी बात यह है कि ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया गया है.