रामनगर: आम की तरह ही फलों में लीची का भी बड़ा क्रेज होता है. रामनगर की लीची देश और दुनिया में अपने लाजवाब स्वाद के लिए जानी जाती है. उत्तराखंड के रामनगर की लीची की मिठास जब जुबान पर चढ़ती है तो लोग उसे लंबे समय तक नहीं भूल पाते हैं. नैनीताल जिले के रामनगर, कालाढुंगी, कोटाबाग, चकलुआ आदि क्षेत्रों में होता 1,700 से ज्यादा हेक्टेहर में लीची का उत्पादन होता है.
आया लीची की मौसम:उत्तराखंड के नैनीताल जिले की लीची अपने मीठे रसीले के स्वाद के लिए तो जानी ही जाती है, अब ये लीची विशेष भी हो गई है. रामनगर और कालाढुंगी क्षेत्र की लीची को इस बार जीआई टैग भी मिला है. नैनीताल क्षेत्र में लीची के 1 लाख 70 हज़ार से ज्यादा पेड़ हैं. इस बार 8500 मीट्रिक टन लीची की पैदावार होने की किसानों को उम्मीद है. क्षेत्र की लीची को जीआई टैग (Geographical Indication Tag) मिलने पर काश्तकार खुश हैं. क्षेत्र में लीची की काफी पैदावार होती है. यहां की लीची बाहरी राज्यों में भी अपना स्वाद बिखेरती है.
व्यापारियों ने डाला लीची के बगीचों में डेरा:यहां की लीची खरीदने के लिए दिल्ली, नोएडा, कोलकाता समेत अन्य महानगरों के व्यापारी नैनीताल जिले के अलग अलग क्षेत्रों में आजकल डेरा डाले हुए हैं. वहीं इस बार पेड़ों पर अच्छा फल आने से किसानों को उम्मीद है कि अगर ओलावृष्टि तूफान नहीं आए, तो वह अच्छी पैदावार ले पाएंगे. बगीचे को ठेके पर लिए अरुण मौर्य कहते हैं कि इस बार पेड़ों पर लकदक लीची लदी हुई है. अगर ऐसा ही रहा और तूफान ओला नहीं पड़ा तो अच्छी पैदावार मिलेगी.
ठेकेदारों को अच्छी फसल मिलने की उम्मीद:वहीं ठेकेदार सुरेश सैनी कहते हैं कि इस बार हमें अच्छे फल की उम्मीद है. वहीं बगीचा लेने वाले हरदेव कश्यप कहते हैं कि हमारी लीची का स्वाद देश-विदेश में अपनी मिठास छोड़ता है. वह कहते हैं कि वह हर बार नैनीताल जिले में लीची के बगीचे को ठेके पर लेने के लिए पहुंचते हैं. मौसम ने साथ दिया तो अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है.