रांची: चतरा लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट पाने वाले पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. क्षेत्र में कांग्रेसी नेताओं के बीच ही उनका विरोध इतना ज्यादा है कि अनुशासनात्मक कार्रवाई की परवाह किये बिना सुनियोजित तरीके से उलगुलान न्याय महारैली में केएन त्रिपाठी विरोधी पहुंच गए. जैसे ही कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने मंच से अपना संबोधन शुरू किया कि केएन त्रिपाठी विरोधी नारे पंडाल में गूंजने लगे.
देशभर के I.N.D.I.A गठबंधन के बड़े नेताओं के सामने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का अंतर्कलह सामने आ गया. ऐसे में अब सवाल उठता है कि जिस तरह से गोड्डा में पूर्व घोषित उम्मीदवार दीपिका पांडेय सिंह को बदल कर प्रदीप यादव को उम्मीदवार बनाया गया है. क्या उसी तरह चतरा से घोषित उम्मीदवार केएन त्रिपाठी को कांग्रेस बदलेगी या फिर विरोध के स्वर को नजरअंदाज कर देगी.
पार्टी विभिन्न पहलुओं को देख कर उम्मीदवार का फैसला करती है- राजेश ठाकुर
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से जब पूछा गया कि क्या गोड्डा की तरह भारी विरोध के मद्देनजर चतरा में भी कांग्रेस उम्मीदवार बदले जायेंगे? इस सवाल के जवाब में राजेश ठाकुर ने कहा कि चतरा में उम्मीदवार बदलने को लेकर कहीं कोई बात नहीं है. आलाकमान और पार्टी नेतृत्व बहुत सारी बातों को देख कर कोई फैसला करता है.
उन्होंने कहा कि कल उलगुलान न्याय महारैली के दौरान घटी घटना को लेकर जिला कमिटी अनुशासन की कार्रवाई करेगी. उन्हें अपना काम करने दीजिए.
वहीं आज आलमगीर आलम के आवास पर हुई बैठक को लेकर प्रदेश प्रभारी ने साफ किया कि इसमें चतरा में कांग्रेस उम्मीदवार केएन त्रिपाठी के विरोध पर कोई चर्चा नहीं हुई है.
स्थानीय प्रत्याशी देने की उठ रही है मांग
चतरा लोकसभा क्षेत्र की गिनती उन निर्वाचन क्षेत्र के रूप में होती है, जहां हर बार कोई न कोई बाहरी व्यक्ति टिकट पा लेता है और सांसद बन जाता है. बिहार में मंत्री रहे नागमणि से लेकर निवर्तमान भाजपा सांसद सुनील सिंह तक कई ऐसे नाम हैं जो मूल रूप से चतरा के नहीं थे. पार्टी ने टिकट दिया और वह सांसद भी हो गए.