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गाजियाबाद में धर्म संसद: सुप्रीम कोर्ट ने भाषणों और कार्यवाही का रिकॉर्ड रखने को कहा - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद की ओर से बुलाई गई 'धर्म संसद' को लेकर दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया.

authorities to keep watch what is happening SC on Dharam Sansad in Ghaziabad
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 5 hours ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद के प्रस्तावित 'धर्म संसद' कार्यक्रम को लेकर उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है. यति नरसिंहानंद फाउंडेशन की ओर से 17 दिसंबर से 21 दिसंबर के बीच गाजियाबाद के डासना में शिव-शक्ति मंदिर परिसर में 'धर्म संसद' का आयोजन प्रस्तावित था.

गुरुवार को यह मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आया, जिसमें जस्टिस संजय कुमार शामिल थे. पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, "कृपया अधिकारियों से कहें कि वे इस पर नजर रखें और जो कुछ हो रहा है, उस पर नजर रखें." शीर्ष अदालत ने नटराज से वहां दिए गए भाषणों और कार्यवाही का रिकॉर्ड रखने को कहा.

अदालत ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण को स्पष्ट कर दिया कि अदालत याचिका पर विचार नहीं करेगी. भूषण ने जोर देकर कहा कि यह गंभीर मामला है. इस पर पीठ ने कहा, "दोनों पक्षों की ओर से मुद्दे आ रहे हैं, हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं. हमने पहले इस पर विचार नहीं किया है."

पीठ ने कहा कि सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में नहीं आ सकते. अगर हम इस पर विचार करते हैं, तो हमें सभी पर विचार करना होगा, हमारे पास ऐसी सभी याचिकाएं आ जाएंगी.

सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने यति नरसिंहानंद की जमानत की शर्तों को उठाया. पीठ ने भूषण से पूछा कि वे सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकते हैं? पीठ ने उन्हें जमानत रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा.

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि उसके पहले के आदेशों के अनुसार सभी अधिकारियों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अनुपालन सुनिश्चित करने की जरूरत है. साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि वह याचिका पर विचार न करके मुद्दे से बच नहीं रही है. दलीलें सुनने के बाद, पीठ ने याचिकाकर्ताओं के लिए कानून के तहत उचित उपाय का लाभ उठाने का विकल्प खुला छोड़ दिया.

वरिष्ठ नौकरशाहों और समाजसेवियों ने गाजियाबाद जिला प्रशासन और यूपी पुलिस के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें अदालत से सभी सक्षम और उपयुक्त अधिकारियों को सांप्रदायिक गतिविधियों और घृणास्पद भाषणों में लिप्त व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की गई.

याचिका में कहा गया है कि 17-21 दिसंबर के बीच गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद फाउंडेशन द्वारा आयोजित धर्म संसद की वेबसाइट और विज्ञापनों में इस्लाम के अनुयायियों के खिलाफ कई सांप्रदायिक बयान शामिल हैं, जो मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काते हैं.

याचिकाकर्ताओं में अरुणा रॉय, सेवानिवृत्त आईएएस अशोक कुमार शर्मा, देब मुखर्जी और नवरेखा शर्मा, सेवानिवृत्त आईएफएस सईदा हमीद और सामाजिक शोधकर्ता व नीति विश्लेषक विजयन एमजे शामिल हैं.

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