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संविधान दिवस पर महबूबा मुफ्ती बोलीं- राष्ट्र की पहचान खोने का खतरा... अल्पसंख्यक खतरे में

Mehbooba Mufti on Constitution Day: पीडीपी चीफ ने संभल हिंसा को लेकर भी बयानबाजी की है. जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

MEHBOOBA MUFTI ON CONSTITUTION DAY
संविधान दिवस पर महबूबा मुफ्ती (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2024, 1:49 PM IST

Updated : Nov 26, 2024, 1:56 PM IST

श्रीनगर:पूरा देश आज 75वां संविधान दिवस मना रहा है. इस अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत गणमान्यों ने शुभकामनाएं दी हैं. वहीं, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने तंज कसा है.

उन्होंने कहा कि जब राष्ट्र अपना 75वां संविधान दिवस मना रहा है, तो वह अपनी विशिष्ट पहचान खोने और पड़ोसी देश पाकिस्तान के करीब आने का खतरा मोल ले रहा है क्योंकि उसके संवैधानिक मूल्यों का हनन हो रहा है. सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए महबूबा ने लिखा कि आज, जब हम संविधान दिवस मना रहे हैं, यह देखना निराशाजनक है कि हमारे देश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक वर्ग अभूतपूर्व खतरों का सामना कर रहा है. उनकी गरिमा, जीवन, आजीविका और पूजा स्थलों पर हमला हो रहा है, जो संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक के लिए समान अधिकारों और सम्मान की गारंटी के विपरीत है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो.

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जमाई मस्जिद के यूपी सरकार के सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा और चार लोगों की हत्या का हवाला देते हुए महबूबा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा, जिसमें चार निर्दोष लोगों की जान चली गई, इस कठोर वास्तविकता की दर्दनाक याद दिलाती है.

इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर में भी अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी में दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारतीय संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है, जिसे बदलते समय की मांग के अनुसार नए विचारों को शामिल करने के लिए लिखा गया था. उन्होंने इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का, एक डाक टिकट और संविधान पर तीन पुस्तकें जारी करते हुए कहा कि हमने अपने संविधान के माध्यम से सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया है.

जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान दिवस समारोह की अध्यक्षता की, जबकि कांग्रेस पार्टी ने भी केंद्र शासित प्रदेश में अपने कार्यालयों में समारोह आयोजित किया. उन्होंने लिखा कि मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने का यह चलन सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद जारी है कि सभी धार्मिक स्थलों पर 1947 जैसी ही स्थिति बनी रहनी चाहिए. संवैधानिक मूल्यों और कानून के शासन का क्षरण बेहद चिंताजनक है और जब तक हम जो भारत के विचार में विश्वास करते हैं, इन मूल्यों की रक्षा के लिए नहीं उठ खड़े होते, तब तक हमारा देश अपनी विशिष्ट पहचान खोने और अपने पड़ोसियों से अलग न रह जाने का जोखिम उठाता रहेगा.

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Last Updated : Nov 26, 2024, 1:56 PM IST

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