मुरादाबाद: इंसान के मन में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी जिले की रहने वाली एक मां की है, जिसने अपने बच्चों में ऑटिज्म बीमारी को नजदीक से देखा और फिर अपने आस-पास रहने वाले बच्चों को भी इस बीमारी से उबारने में हरसम्भव मदद की. जिया शादमा डिप्टीगंज मोहल्ले में ऑटिज्म बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए 'क्यारी' नाम से सेंटर चला रही है.
बच्चों को दी जाती है शिक्षा
क्यारी नामक इस सेंटर में बच्चों को ड्राइंग बनाने से लेकर फलों और अन्य चीजों को पहचानने की कोशिश कराई जाती है. इन मासूम बच्चों के भी आंखों में सपने हैं, लेकिन इनके सपनों को ऑटिज्म बीमारी का ग्रहण लगा हुआ है. ऑटिज्म रोग के वजह से बच्चे समाजिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं हो पाते, जिसकी वजह से यह आसानी से अपने हमउम्र बच्चों के साथ घुलने-मिलने में हिचकते हैं. वहीं जिले की रहने वाली जिया शादमा इन बच्चों के लिए एक उम्मीद की किरणें लेकर आई हैं.
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डटकर किया सामना
ऑटिज्म शब्द से जिया का परिचय उस वक्त हुआ जब उनके अपने दो बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हुए. बच्चों को ऑटिज्म होने की जानकारी हुई तो जिया के सामने चुनौती बढ़ गई. बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली ले जातीं और वहीं उन्होंने बच्चों को दी जाने वाली थेरैपी सीखी. बच्चों में जब सुधार नजर आया तो जिया ने आस-पास के बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह ही देखभाल शुरू कर दी.
अपने बच्चों की तरह अन्य बच्चों को भी दे रहीं शिक्षा
जिया अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को स्पेशल क्लास और थेरैपी देने के साथ जिया ने अपने घर में बच्चों के लिए सेंटर की शुरुआत की. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को इस सेंटर में व्यहवारिक जानकारियां देने के साथ-साथ पढ़ाई और खेलकूद के जरिए समझाया जाता है. बच्चों के साथ हर दिन मेहनत की जाती है और इन्हें हर चीज का कई बार अभ्यास कराया जाता है और साथ ही बेहतर जीवन जीना सिखाया जाता है. जिया की यह कोशिश कितनी रंग लाएगी यह देखना होगा, लेकिन अपने प्रयास से जिया ने समाज को आईना जरूर दिखाया है.