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मुरादाबाद: यह महिला अपनी 'क्यारी' में संवार रही हैं ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों का जीवन

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में एक महिला ने क्यारी नामक सेंटर खोलकर ऑटिज्म जो कि एक मानसिक बिमारी से ग्रसित बच्चों को शिक्षा और जीवन जीने का तरीका बता रहीं हैं. जिया नामक महिला के इस संभव प्रयास से बच्चों के जीवन में एक उम्मीद की किरण जगी है, जिससे बच्चे जीवन में आगे बढ़ सकें.

ऑटिज्म रोग से पीड़ित बच्चों को दी जा रही है शिक्षा
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Published : Nov 20, 2019, 4:33 PM IST

मुरादाबाद: इंसान के मन में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी जिले की रहने वाली एक मां की है, जिसने अपने बच्चों में ऑटिज्म बीमारी को नजदीक से देखा और फिर अपने आस-पास रहने वाले बच्चों को भी इस बीमारी से उबारने में हरसम्भव मदद की. जिया शादमा डिप्टीगंज मोहल्ले में ऑटिज्म बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए 'क्यारी' नाम से सेंटर चला रही है.

ऑटिज्म रोग से पीड़ित बच्चों को दी जा रही है शिक्षा.

बच्चों को दी जाती है शिक्षा
क्यारी नामक इस सेंटर में बच्चों को ड्राइंग बनाने से लेकर फलों और अन्य चीजों को पहचानने की कोशिश कराई जाती है. इन मासूम बच्चों के भी आंखों में सपने हैं, लेकिन इनके सपनों को ऑटिज्म बीमारी का ग्रहण लगा हुआ है. ऑटिज्म रोग के वजह से बच्चे समाजिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं हो पाते, जिसकी वजह से यह आसानी से अपने हमउम्र बच्चों के साथ घुलने-मिलने में हिचकते हैं. वहीं जिले की रहने वाली जिया शादमा इन बच्चों के लिए एक उम्मीद की किरणें लेकर आई हैं.

इसे भी पढ़ें:- मुरादाबाद के गौरव ने पास की PCS परीक्षा, पारदर्शी सिस्टम लागू करना लक्ष्य

डटकर किया सामना
ऑटिज्म शब्द से जिया का परिचय उस वक्त हुआ जब उनके अपने दो बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हुए. बच्चों को ऑटिज्म होने की जानकारी हुई तो जिया के सामने चुनौती बढ़ गई. बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली ले जातीं और वहीं उन्होंने बच्चों को दी जाने वाली थेरैपी सीखी. बच्चों में जब सुधार नजर आया तो जिया ने आस-पास के बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह ही देखभाल शुरू कर दी.

अपने बच्चों की तरह अन्य बच्चों को भी दे रहीं शिक्षा
जिया अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को स्पेशल क्लास और थेरैपी देने के साथ जिया ने अपने घर में बच्चों के लिए सेंटर की शुरुआत की. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को इस सेंटर में व्यहवारिक जानकारियां देने के साथ-साथ पढ़ाई और खेलकूद के जरिए समझाया जाता है. बच्चों के साथ हर दिन मेहनत की जाती है और इन्हें हर चीज का कई बार अभ्यास कराया जाता है और साथ ही बेहतर जीवन जीना सिखाया जाता है. जिया की यह कोशिश कितनी रंग लाएगी यह देखना होगा, लेकिन अपने प्रयास से जिया ने समाज को आईना जरूर दिखाया है.

मुरादाबाद: इंसान के मन में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी जिले की रहने वाली एक मां की है, जिसने अपने बच्चों में ऑटिज्म बीमारी को नजदीक से देखा और फिर अपने आस-पास रहने वाले बच्चों को भी इस बीमारी से उबारने में हरसम्भव मदद की. जिया शादमा डिप्टीगंज मोहल्ले में ऑटिज्म बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए 'क्यारी' नाम से सेंटर चला रही है.

ऑटिज्म रोग से पीड़ित बच्चों को दी जा रही है शिक्षा.

बच्चों को दी जाती है शिक्षा
क्यारी नामक इस सेंटर में बच्चों को ड्राइंग बनाने से लेकर फलों और अन्य चीजों को पहचानने की कोशिश कराई जाती है. इन मासूम बच्चों के भी आंखों में सपने हैं, लेकिन इनके सपनों को ऑटिज्म बीमारी का ग्रहण लगा हुआ है. ऑटिज्म रोग के वजह से बच्चे समाजिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं हो पाते, जिसकी वजह से यह आसानी से अपने हमउम्र बच्चों के साथ घुलने-मिलने में हिचकते हैं. वहीं जिले की रहने वाली जिया शादमा इन बच्चों के लिए एक उम्मीद की किरणें लेकर आई हैं.

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डटकर किया सामना
ऑटिज्म शब्द से जिया का परिचय उस वक्त हुआ जब उनके अपने दो बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हुए. बच्चों को ऑटिज्म होने की जानकारी हुई तो जिया के सामने चुनौती बढ़ गई. बच्चों के इलाज के लिए दिल्ली ले जातीं और वहीं उन्होंने बच्चों को दी जाने वाली थेरैपी सीखी. बच्चों में जब सुधार नजर आया तो जिया ने आस-पास के बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह ही देखभाल शुरू कर दी.

अपने बच्चों की तरह अन्य बच्चों को भी दे रहीं शिक्षा
जिया अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को स्पेशल क्लास और थेरैपी देने के साथ जिया ने अपने घर में बच्चों के लिए सेंटर की शुरुआत की. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को इस सेंटर में व्यहवारिक जानकारियां देने के साथ-साथ पढ़ाई और खेलकूद के जरिए समझाया जाता है. बच्चों के साथ हर दिन मेहनत की जाती है और इन्हें हर चीज का कई बार अभ्यास कराया जाता है और साथ ही बेहतर जीवन जीना सिखाया जाता है. जिया की यह कोशिश कितनी रंग लाएगी यह देखना होगा, लेकिन अपने प्रयास से जिया ने समाज को आईना जरूर दिखाया है.

Intro:एंकर: मुरादाबाद: इंसान के मन में समाज के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. जी हां कुछ ऐसी ही कहानी है मुरादाबाद की रहने वाली एक मां की जिसने अपने बच्चों की बीमारी को नजदीक से देखा और फिर अपने आस-पास रहने वाले बच्चों को भी इस बीमारी से उबारने में हरसम्भव मदद की. मुरादाबाद के डिप्टीगंज मौहल्ले में ऑटिज्म बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए सेंटर चला रही जिया शादमा के दो बच्चों को ऑटिज्म की बीमारी है जिसके इलाज के लिए जिया को लम्बा समय दिल्ली में गुजरना पड़ा. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के जीवन में मुस्कान बिखेर रही जिया के सेंटर में आज हर रोज दर्जनों बच्चे आते है. अपने प्रयाश से शुरू इस सेंटर में बच्चों को शिक्षा के साथ अन्य सामाजिक गतिविधियों की जानकारी भी दी जाती है.


Body:वीओ वन: ड्राइंग बनाने से लेकर फलों को पहचानने की कोशिश कर रहें इन मासूम बच्चों की मुस्कान हर किसी को अपना बना लेती है. आंखों में सपने इनके भी है लेकिन इनके सपनों को ऑटिज्म बीमारी का ग्रहण लगा हुआ है. बच्चों के मानसिक विकास से सम्बंधित ऑटिज्म रोग के चलते ये बच्चे समाजिक तौर पर ज्यादा सक्रिय नहीं होते जिसकी वजह से यह आसानी से अपने हमउम्र बच्चों के साथ घुलने- मिलने में हिचकते है. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए मुरादाबाद की रहने वाली जिया शादमा आगे आयी है और डिप्टीगंज मौहल्ले में खोले अपने सेंटर को उन्होंने क्यारी नाम दिया है.
बाईट: जिया शादमा: क्यारी की संचालिका
वीओ टू: दरअसल ऑटिज्म शब्द से जिया का परिचय उस वक्त हुआ जब उनके अपने दो बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हुए. बचपन में बच्चों को ऑटिज्म होने की जानकारी हुई तो जिया के सामने चुनौती बढ़ गयी. जिया बच्चों को इलाज के लिए दिल्ली ले जाती और वहीं उन्होंने बच्चों को दी जाने वाली थेरैपी सीखी. आपमे बच्चों में सुधार नजर आया तो जिया ने आस-पास के बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण देखें और अपने बच्चों की तरह ही अन्य बच्चों की भी देखभाल शुरू कर दी.
बाईट- जिया शादमा- संचालिका
वीओ तीन: अपने बच्चों के साथ दूसरे बच्चों को स्पेशल क्लास और थेरैपी देने के साथ जिया ने अपने घर में बच्चों के लिए सेंटर की शुरुआत की और देखते ही देखते कई अभिभावक बच्चों को लेकर पहुंचने लगे. ऑटिज्म पीड़ित बच्चों को इस सेंटर में व्यहवारिक जानकारियां देने के साथ ही पढ़ाई और खेलकूद के जरिये समझाया जाता है. बच्चों के साथ हर दिन मेहनत की जाती है और इन्हें हर चीज का कई बार अभ्यास करवा कर एक बेहतर जीवन जीना सिखाया जाता है.
बाईट: श्रुति अरोड़ा: स्पेशलिस्ट


Conclusion:वीओ चार: अपने बच्चों की बीमारी को नजदीक से देख चुकी जिया शादमा की इस बगिया में दर्जनों मासूम बच्चें फूलों की खिलने की कोशिश कर रहें है. ऑटिज्म की बीमारी से ग्रसित इन बच्चों को जिया हमेशा अपने बच्चों की तरह रखती है. जिया के इस सेंटर में हर रोज ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के अभिभावक आकर जानकारी लेते है. खुद जिया भी शहर में जागरूकता कार्यक्रम करके अभिभावकों को जागरूक करती है. जिया की यह कोशिश कितना रंग लाएगी यह देखना होगा लेकिन अपने प्रयाश से जिया ने समाज को आईना जरूर दिखाया है.
भुवन चन्द्र
ईटीवी भारत
मुरादाबाद
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