मऊ: गाजीपुर तिराहे के पास स्थित आईटीआई कॉलेज की जमीन को अधिग्रहण करने के मामले में हुए अरबों रुपये की सरकारी जमीन की हेरा-फेरी का मामला जांच में सामने आया है. एसडीएम सदर और तहसीलदार के द्वारा जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट पेश की गई है. डीएम ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने मामले में शामिल दो कर्मचारियों के साथ 25 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर सभी को भू-माफिया की सूची में शामिल करने का आदेश दिया है.
जांच रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अभिलेखों में हेरा-फेरी कर आरोपियों ने सरकारी जमीन को अपने नाम करा लिया था. बाद में जमीन सरकार को देकर मुआवजा लिया और मुआवजा लेने के बाद जमीन को फिर अपने नाम करा लिया. इसके साथ ही उस भूमि पर अपना निर्माण भी करा लिया.
आईटीआई कॉलेज की जमीन की हेरा-फेरी
शहर के गाजीपुर तिराहे पर औद्योगिक संस्थान, बुनाई विद्यालय और आईटीआई कॉलेज जिस जमीन पर है, वह भूमि 1382 उसली के अभिलेखों में सरकारी बंजर भूमि के नाम पर दर्ज थी. सेवा निवृत्त लेखपाल मोहम्मद शमी अहमन की मिलीभगत से कुछ लोगों ने जमीन को अपने नाम से दर्ज करा लिया. इसके बाद यह जमीन जब अधिग्रहित की गई तो जिन लोगों का नाम उसमें दर्ज था, उन लोगों ने मुआवजा ले लिया. बाद में फिर से सरकारी अभिलेखों में हेरा-फेरी कर अपना नाम दर्ज करा लिया. लेखापाल खेदारुराम से पैमाइश करा कर उसे सड़क किनारे लाकर उस जमीन पर अपना निर्माण कार्य करा लिया.
पहली बाद 2007 में मामला प्रकाश में आया था
2007 में यह मामला प्रकाश में आया था, लेकिन इस मामलें को दबा दिया गया. इस बार एसडीएम अतुल वत्स ने पूरे मामले की हेरा-फेरी के खेल को उजागर किया. इसके बाद अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी के सामने पेश की. डीएम ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि जब मऊ आजमगढ जिले में शामिल था, उस समय 1957 में राज्स्व अभिलेखों में यह भूमि बुनाई विद्यालय के नाम से दर्ज थी.
1964 में इस भूमि पर विद्यालय का निर्माण हुआ, जिसके बाद 1982 के बाद हेरा-फेरी का खेल शुरू हुआ. विद्यालय की अन्य जमीन को सरकारी बंजर दिखा कर हेरा-फेरी की गई और निर्माण कराया गया. इस मामले में सेवानिवृत्त लेखपाल मोहम्मद शमी के साथ वर्तमान समय में मधुबन तहसील में तैनात खेदारु राम यादव सहित 25 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर सभी का नाम भू-माफिया की सूची में दर्ज कराने का आदेश दिया है. इसके अलावा भूमि को कब्जा मुक्त कराने की कार्यवाही के भी आदेश दिए गए हैं.