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कहीं सड़कों पर फर्राटे भर रहे अवैध 72 हजार वाहन तो प्रदूषण के जिम्मेदार नहीं! - बुलंदशहर में चल रहे 72 हजार अवैध वाहन

दिल्ली एनसीआर समेत आस-पास के क्षेत्रों में भी प्रदूषण से लोगों को सांस लेना दूभर हो गया है. बुलंदशहर जिले में 72 हजार ऐसे वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं, जो काफी पुराने हैं.

72 हजार अवैध वाहन सड़कों पर भर रहे फर्राटे.
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Published : Nov 16, 2019, 3:06 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहरः बुलंदशहरः दीवाली के त्योहार को एक पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अभी तक जिले समेत दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा है. लोगों को सांस लेना दूभर हो गया है. जिले में 72 हजार ऐसे वाहन हैं जो काफी पुराने हो चुके हैं, लेकिन फिर भी सड़कों पर फर्राटें भर रहे हैं.

जिले में लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया है. दिल्ली एनसीआर समेत बुलंदशहर में भी प्रदूषण की चपेट में है. धुंध के गुबार ने अब जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से भी तमाम तरह से कवायद करने का दम भरा जा रहा है.

72 हजार अवैध वाहन सड़कों पर भर रहे फर्राटे.

ये भी पढ़ें- एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ सुलतानपुर, जानिए वजह

एनजीटी के दिशा-निर्देश के बाद भी सड़कों पर ऐसे वाहनों की भरमार देखी जा सकती है, जो कि पूराने हो चुके हैं. बुलंदशहर जनपद की तो यहां जो प्रदूषण बढ़ रहा है. इसमें भले ही अधिकारियों के द्वारा पराली और होटलों ढाबों की भट्टियों समेत छोटी-मोटी इकाइयों को बंद कराने की रश्म अदायगी की जा रही हो, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जिले में 72 हजार ऐसे वाहन लिस्टेड है, जो कि अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं .

ये भी पढ़ें- पुनर्विचार याचिका दाखिल करना हमारा कानूनी हक: अल इमाम वेलफेयर एसोसिएशन

इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बीच-बीच में अभियान चलाया जाता है. ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.

बुलंदशहरः बुलंदशहरः दीवाली के त्योहार को एक पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अभी तक जिले समेत दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा है. लोगों को सांस लेना दूभर हो गया है. जिले में 72 हजार ऐसे वाहन हैं जो काफी पुराने हो चुके हैं, लेकिन फिर भी सड़कों पर फर्राटें भर रहे हैं.

जिले में लोगों का घर से निकलना दूभर हो गया है. दिल्ली एनसीआर समेत बुलंदशहर में भी प्रदूषण की चपेट में है. धुंध के गुबार ने अब जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से भी तमाम तरह से कवायद करने का दम भरा जा रहा है.

72 हजार अवैध वाहन सड़कों पर भर रहे फर्राटे.

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एनजीटी के दिशा-निर्देश के बाद भी सड़कों पर ऐसे वाहनों की भरमार देखी जा सकती है, जो कि पूराने हो चुके हैं. बुलंदशहर जनपद की तो यहां जो प्रदूषण बढ़ रहा है. इसमें भले ही अधिकारियों के द्वारा पराली और होटलों ढाबों की भट्टियों समेत छोटी-मोटी इकाइयों को बंद कराने की रश्म अदायगी की जा रही हो, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जिले में 72 हजार ऐसे वाहन लिस्टेड है, जो कि अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं .

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इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बीच-बीच में अभियान चलाया जाता है. ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.

Intro:दीवाली के त्योहार को एक पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अभी तक भी बुलंदशहर समेत दिल्ली एनसीआर में आम आदमी ठीक से सांस तक नहीं ले पा रहा है यानी खतरनाक धुंध से लोग बीमार हो रहे हैं,कहीं इसके पीछे 72 हजार से ज्यादा वो वाहन तो नहीं जो अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं और फर्राटा भरते सड़कों पर देखे जा सकते हैं,देखिये ईटीवी भारत की ये पडतालपूर्ण एक्सक्लुसिव खबर।


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Body: बुलंदशहर में लोगों का घर से निकलना दूभर हो रहा है, दिल्ली एनसीआर समेत बुलंदशहर में भी हर कोई खासा परेशान है। धुंध के गुबार ने अब जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर के रख दिया है ,तो वहीं प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से भी तमाम तरह से कवायद करने का दम भरा जा रहा है ,लेकिन एक वजह जिसकी तरफ किसी का ध्यान शायद नहीं जा रहा और एनजीटी के दिशा निर्देश के बाद भी सड़कों पर ऐसे वाहनों की भरमार देखी जा सकती है , जो कि उम्रदराज हो चुके हैं या अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। हम आपको बता दें कि डीजल वाहनों के लिए 10 साल की समय अवधि निर्धारित है ,तो वहीं पेट्रोल के वाहनों की अधिकतम उम्र 15 साल दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में उचित मानी गयी है, लेकिन अगर बात की जाए बुलंदशहर जनपद की तो यहां जो प्रदूषण बढ़ रहा है इसमें भले ही अधिकारियों के द्वारा पराली और होटलों ढाबों की भट्टियों समेत छोटी मोटी इकाइयों को बंद कराने की रश्म अदायगी की जा रही हो, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिले में 72 हजार ऐसे वाहन लिस्टेड है, जो कि अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं ,और ये हम नहीं कहते ये दावा है खुद क्षेत्रीय उपसंभागीय परिवहन कार्यालय के जिम्मेदार अफसरों का , लेकिन इसके अलावा जो कवायदें क्षेत्रीय उप संभागीय परिवहन कार्यालय के जिम्मेदारों के द्वारा की जा रही हैं,वो कदम अपर्याप्त ही नजर आते हैं,क्योंकि स्टाफ की कमी यहां बनी हुई है, अगर बात की जाए प्रदूषण के स्तर की तो दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद के साथ-साथ बुलंदशहर की आबोहवा भी पूरी तरह से दूषित है,स्मॉग ने हर किसी को परेशान कर रकहा है,तो वहीं जिले में जब 72 हजार ऐसी वाहन हों जो कि अब एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक सड़कों पर चलने के लायक न हों जबकि सड़कों पर ये फर्राटा भरते देखे जा रहे हों तो इस तरफ गौर करना लाजमी है ,की प्रदूषण बढ़ाने में कहीं न कहीं इन वाहनों का योगदान भी हो सकता है,
हालांकि इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि बीच-बीच में अभियान चलाया जाता है और ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाती है, लेकिन अभी जो बुलंदशहर में सबसे चोंकाने वाली बात है वो यही है कि आखिर जो संख्या महकेमे के अफसर बता रहे हैं,और जो कदम इस तरफ उठाये जा रहे हैं,वो अपर्याप्त जान पड़ते हैं।
हालांकि जिम्मेदार अफसर यह भी कहते हैं कि उनकी तरफ से लगातार कार्यवाही हो रही रही हैं।
बाइट....मुहम्मद कय्यूम,एआरटीओ प्रशासन,बुलन्दशहर
पीटीसी.... श्रीपाल तेवतिया, बुलन्दशहर


Conclusion:फिलहाल इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये जो सख्या है ,ये वाहन प्रदूषण नहीं फैला रहे ,क्योंकि विभाग के पास ऐसी कोई जानकारी भी नहीं है जिससे वो ये भी बता पाए कि इनमें से कितने वाहन वर्तमान में और किस स्थिति में हैं,हालांकि ये समझा जा सकता है कि दूषित होती आबोहवा के लिए प्रशासन के सख्त होने की जरूरत है।

श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
92134008888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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