बलिया: जिले में महर्षि भृगु की तपोस्थली भृगु क्षेत्र में होने वाले ऐतिहासिक ददरी मेले में शनिवार को संत समागम का आयोजन किया गया. इसमें जिले के विभिन्न इलाकों से साधु संत और महात्माओं को आना था, लेकिन मंच पर कुछ महात्मा ही पहुंचे. इतना ही नहीं नगर पालिका परिषद के द्वारा प्रचार-प्रसार के अभाव में इन महात्माओं के प्रवचन को सुनने के लिए श्रोता भी नहीं पहुंचे.
महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर ददरी मेले का होता है आयोजन
भगवान विष्णु को कर्तव्य बोध कराने वाले महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के नाम पर बलिया में ऐतिहासिक ददरी मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है. 1 माह तक चलने वाले इस मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा जिले के साधु संत महात्माओं का समागम कर उनके प्रवचन के द्वारा लोगों को लाभान्वित करने का भी कार्यक्रम बनाया गया.
शनिवार को मेला क्षेत्र में बने भारतेंदु कला मंच पर संतों के जमघट होने का आयोजन किया गया. जहां जिले के विभिन्न इलाकों से प्रवचन कर्ता साधु संत और महात्मा को यहां आना था, लेकिन मंच पर गिने चुने ही प्रवचन कर्ता पहुंचे. इससे पहले दोपहर बाद भगवान लड्डू गोपाल की छोटी मूर्ति का पूजन कर इस समागम का आयोजन किया गया.
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संत समागम के आयोजन में प्रचार-प्रसार की दिखी कमी
नगर पालिका परिषद द्वारा इस संत समागम के आयोजन में प्रचार-प्रसार की कमी साफ दिखाई दी. मंच पर गिने चुने संत-महात्मा उपस्थित रहे, जिनके प्रवचन को सुनने के लिए नगर पालिका परिषद बलिया के अध्यक्ष अजय कुमार अपने कुछ लोगों के साथ उपस्थित रहे. शेष पीछे की कुर्सियां श्रोताओं के आने का इंतजार ही करती रही.
यह मेला ऋषि-मुनियों का मेला होता है, जिस कारण ददरी मेले में संत समागम का आयोजन कर जिले के विभिन्न इलाकों से साधु-संतों को यहां बुलाया गया. जिनके प्रवचन मात्र सुनने से ही लोगों को अध्यात्म का बोध होता है. इस कार्यक्रम में जिले के दूरदराज से साधु-संत आए हैं, जो प्रवचन कर रहे हैं.
-अजय कुमार, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद, बलिया