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स्पेशल रिपोर्ट : जब 120 जवानों ने चटाई थी पाकिस्तान को धूल, सुनें लौगेंवाला युद्ध की कहानी शूरवीरों की जुबानी

4 दिसंबर सन् 1971 की सर्द रात और भारतीय सेना के 120 जवानों के सामने पाकिस्तान की पूरी सेना. हम बात कर रहे हैं लोंगेवाला की लड़ाई की, जिसमें बटालियन 23 पंजाब ने पूरी पाकिस्तानी सेना के टैंकों को जंग के मैदान में धूल चटा दी थी. विजय दिवस के अवसर पर ईटीवी भारत आपको बता रहा है युद्ध के ऐतिासिक किस्से, शूरवीरों की जुबानी.

जैसलमेर न्यूज, jaisalmer news
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Published : Dec 15, 2019, 11:54 PM IST

Updated : Dec 21, 2019, 3:20 PM IST

जैसलमेर. युद्ध इतिहास में साहसी युद्धों में अपना नाम दर्ज कराने वाला युद्ध, जो भारत पाक के बीच 1971 में देश की पश्चिमी सरहद के निगेहबान जैसलमेर जिले के लोंगेवाला में लड़ा गया, जिसे बैटल ऑफ लोंगेवाला के नाम से भी जाना जाता है. इसी लोंगेवाला के युद्ध पर बॉलीवुड की मशहूर फिल्म बॉर्डर बनी थी, जिसमें युद्ध के नायक मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का रोल सनी देओल ने अदा किया था.

लोंगेवाला युद्ध की कहानी

4 दिसंबर 1971 को जब, पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला में टैंक से हमला कर था, तब भारतीय सेना के सिर्फ 120 सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी. 23वीं पंजाब रेजीमेंट के ये 120 जवानों ने पूरी पाकिस्तानी सेना के मसुंबों पर पानी फेर दिया था.

शहीदों की याद में मनाया जाता है शहीद दिवस

1971 में हुए भारत की पाक पर ऐतिहासिक विजय के उपलक्ष विजय दिवस मनाया जाता है, विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लोंगेवाला के युद्ध में देश के लिए शहीद हुए जवानों को श्रदासुमन अर्पित कर उन्हें याद किया जाता है. कार्यक्रम में युद्ध में शामिल हुए भूतपूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवार के लोग हिस्सा लेते हैं.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने गिनाईं अपने विभाग की उपलब्धियां

इस वर्ष भी यह कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें जनरल ऑफिसर कमाडिंग राकेश कपुर ने लोंगेवाला युद्ध स्थल पर शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और सेना के जवानों द्धारा उन्हें सलामी दी गयी.

आए पुराने किस्से याद

कार्यक्रम में शरीक हुए वीर सैनानी उन हथियारों और साजों-सामान को नजदीक से देखके अपने शौर्य को याद करने लगे, जिससे उन्होनें उस ऐतिहासिक युद्ध में विजय हासिल की थी. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होनें कहा कि उन्हें गर्व है कि इस लड़ाई में लड़ने का उन्हें मौका मिला और दुश्मन के लोंगेवाला के रास्ते जोधपुर पहुंचने की योजना को नाकाम कर दिया. लंबे समय बाद अपने साथियों से मिलने पर जहां वे खुश दिखाई दे रहे थे, वहीं अपने कुछ साथियों को खो देने का भी गम उनकी आखों में साफ झलक रहा था.

पढ़ें- Exclusive: 'सरकार' के 1 साल : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के कामों का लेखा-जोखा, बस एक नजर में

तनोट माता के चमत्कार से जीते

युद्ध में शामिल बीएसएफ के भैरू सिंह जिनका इस युद्ध को जितने में अहम किरदार था, उन्होनें कहा कि तनोट माता के चमत्कार और सभी 120 जवानों के बुलंद हौसले की बदौलत इस जंग में उन्हें जीत हासिल हुई है. पाकिस्तान के हमले के जवाबी कार्रवाई में हमने उनके टैंकों को तितर-बितर कर दिया था. भैरू सिंह उम्र के इस पड़ाव में भी हौसले इतने बुलंद है कि अभी भी उन्हें मौका मिले तो दुश्मनों से लौहा लेने के लिए तैयार हैं.

मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का साहस

वहीं बटालियन 23 पंजाब के वीर सैनानी सतनामसिंह ने बताया कि युद्ध के दौरान उनके 120 जवानों के सामने पाकिस्तान की पुरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने टी-59 टेकों की एक रेजीमेंट के साथ इस पोस्ट पर हमला किया था, उस दौरान मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने देश के वीर योद्धाओं के किस्से-कहानियां सुनाकर उन्हें प्रेरणा देते थे, कि अगर लड़ते हुए शहीद हुए तो वीर कहलाओगे और पीछे हटे तो जीने का कोई मकसद नहीं.

बता दें कि लोंगेवाला का ऐतिहासिक युद्ध 4 से 7 दिसंबर तक चला, जिसमें 120 सैनिक पाकिस्तान की पूरी सेना से लगातार लड़ते रहे. भारतीय सेना के वीर जवान ऐसे लड़े कि दुश्मन की सेना को पूरी की पूरी बटालियन का आभास करा दिया था.

इस लड़ाई में जवानों ने पूरी रात तक दुश्मनों को रोके रखा और सुबह होते ही भारतीय वायुसेना के जैसलमेर स्टेशन से हंटर विमानों ने उड़ान भरी और पाकिस्तनी सेना के टैकों को तबाह कर दिया. लोंगेवाला युद्ध के 120 वीरों ने पाक सेना के लिए इस लड़ाई को एक दुस्वप्न बना दिया.

जैसलमेर. युद्ध इतिहास में साहसी युद्धों में अपना नाम दर्ज कराने वाला युद्ध, जो भारत पाक के बीच 1971 में देश की पश्चिमी सरहद के निगेहबान जैसलमेर जिले के लोंगेवाला में लड़ा गया, जिसे बैटल ऑफ लोंगेवाला के नाम से भी जाना जाता है. इसी लोंगेवाला के युद्ध पर बॉलीवुड की मशहूर फिल्म बॉर्डर बनी थी, जिसमें युद्ध के नायक मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का रोल सनी देओल ने अदा किया था.

लोंगेवाला युद्ध की कहानी

4 दिसंबर 1971 को जब, पाकिस्तानी सेना ने लोंगेवाला में टैंक से हमला कर था, तब भारतीय सेना के सिर्फ 120 सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दी थी. 23वीं पंजाब रेजीमेंट के ये 120 जवानों ने पूरी पाकिस्तानी सेना के मसुंबों पर पानी फेर दिया था.

शहीदों की याद में मनाया जाता है शहीद दिवस

1971 में हुए भारत की पाक पर ऐतिहासिक विजय के उपलक्ष विजय दिवस मनाया जाता है, विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लोंगेवाला के युद्ध में देश के लिए शहीद हुए जवानों को श्रदासुमन अर्पित कर उन्हें याद किया जाता है. कार्यक्रम में युद्ध में शामिल हुए भूतपूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवार के लोग हिस्सा लेते हैं.

पढ़ें- गहलोत 'राज' 1 साल: राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने गिनाईं अपने विभाग की उपलब्धियां

इस वर्ष भी यह कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें जनरल ऑफिसर कमाडिंग राकेश कपुर ने लोंगेवाला युद्ध स्थल पर शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और सेना के जवानों द्धारा उन्हें सलामी दी गयी.

आए पुराने किस्से याद

कार्यक्रम में शरीक हुए वीर सैनानी उन हथियारों और साजों-सामान को नजदीक से देखके अपने शौर्य को याद करने लगे, जिससे उन्होनें उस ऐतिहासिक युद्ध में विजय हासिल की थी. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होनें कहा कि उन्हें गर्व है कि इस लड़ाई में लड़ने का उन्हें मौका मिला और दुश्मन के लोंगेवाला के रास्ते जोधपुर पहुंचने की योजना को नाकाम कर दिया. लंबे समय बाद अपने साथियों से मिलने पर जहां वे खुश दिखाई दे रहे थे, वहीं अपने कुछ साथियों को खो देने का भी गम उनकी आखों में साफ झलक रहा था.

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तनोट माता के चमत्कार से जीते

युद्ध में शामिल बीएसएफ के भैरू सिंह जिनका इस युद्ध को जितने में अहम किरदार था, उन्होनें कहा कि तनोट माता के चमत्कार और सभी 120 जवानों के बुलंद हौसले की बदौलत इस जंग में उन्हें जीत हासिल हुई है. पाकिस्तान के हमले के जवाबी कार्रवाई में हमने उनके टैंकों को तितर-बितर कर दिया था. भैरू सिंह उम्र के इस पड़ाव में भी हौसले इतने बुलंद है कि अभी भी उन्हें मौका मिले तो दुश्मनों से लौहा लेने के लिए तैयार हैं.

मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का साहस

वहीं बटालियन 23 पंजाब के वीर सैनानी सतनामसिंह ने बताया कि युद्ध के दौरान उनके 120 जवानों के सामने पाकिस्तान की पुरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने टी-59 टेकों की एक रेजीमेंट के साथ इस पोस्ट पर हमला किया था, उस दौरान मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने देश के वीर योद्धाओं के किस्से-कहानियां सुनाकर उन्हें प्रेरणा देते थे, कि अगर लड़ते हुए शहीद हुए तो वीर कहलाओगे और पीछे हटे तो जीने का कोई मकसद नहीं.

बता दें कि लोंगेवाला का ऐतिहासिक युद्ध 4 से 7 दिसंबर तक चला, जिसमें 120 सैनिक पाकिस्तान की पूरी सेना से लगातार लड़ते रहे. भारतीय सेना के वीर जवान ऐसे लड़े कि दुश्मन की सेना को पूरी की पूरी बटालियन का आभास करा दिया था.

इस लड़ाई में जवानों ने पूरी रात तक दुश्मनों को रोके रखा और सुबह होते ही भारतीय वायुसेना के जैसलमेर स्टेशन से हंटर विमानों ने उड़ान भरी और पाकिस्तनी सेना के टैकों को तबाह कर दिया. लोंगेवाला युद्ध के 120 वीरों ने पाक सेना के लिए इस लड़ाई को एक दुस्वप्न बना दिया.

Intro:Body:लौगेंवाला युद्ध की कहानी युद्ध में शामिल वीरों की जुबानी

विजय दिवस के मौके पर शहीदों को दी गई श्रद्धजांलि

कार्यक्रम के दौरान वीरों ने साझा की अपनी यादें

बैटल एक्स डिवीजन के विजय दिवस कार्यक्रम का किया है आयोजन

कार्यक्रम में भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारजनों ने लिया हिस्सा

देश के युद्ध इतिहास में शामिल ऐतिहासिक युद्ध जो भारत पाक के बीच 1971 में देष की पश्चिमी सरहद के निगेहबान जैसलमेर जिले के लौगेंवाला में लड़ी गयी जिसे बैटल ऑफ लोंगेवाला के नाम से जानी जाती है और बॉलीवूड की मशहूर फिल्म बॉर्डर में इसकों बखूबी दर्शाया गया है। आज 1971 की भारत की पाक पर ऐतिहासिक विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला विजय दिवस के कार्यक्रम के तहत लोंगेवाला के युद्ध में देश के लिए शहीद हुए जवानों को श्रदासुमन अर्पित कर उन्हें याद किया गया इस दौरान युद्ध में शामिल हुए भूतपूर्व सैनिकों और शहीदों के परिवार के लोगों ने हिस्सा लिया। जनरल ऑफिसर कमाडिंग राकेश कपुर ने लोंगेवाला युद्ध स्थल पर शहीदों को पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और सेना के जवानों द्धारा उन्हें सलामी दी गयी।

युद्ध में हिस्सा लेने वाले वीर सैनानी वापस उसी जगह पहुंचे और उन हथियारों और साजों-सामान को नजदीक से देखा जिससे उन्होनें उस ऐतिहासिक युद्ध में विजय हासिल की थी । मीडिया से बातचीत के दौरान इन्होनें कहा कि उन्हें गर्व है कि इस लड़ाई में लड़ने का उन्हें मौका मिला और दुश्मन के लोंगेवाला के रास्ते जोधपुर पहुँचने की योजना को नाकाम कर दिया। लंबे समय बाद अपने साथियों से मिलने पर जहां वे खुश दिखाई दे रहे थे वहीं अपने कुछ साथियों को खो देने का भी गम उनकी आखों में साफ झलक रहा था। युद्ध में शामिल बीएसएफ के भैरूसिंह जिनका इस युद्ध को जितने में अहम किरदार था उन्होनें अपनी जुबानी युद्ध के बारे में पुरी जानकारी देते हुए कहा कि तनोट माता के चमत्कार और सभी 120 जवानों के बुलंद हौसले की बदौलत इस जंग में उन्हें जीत हासिल हुई और उम्र के इस पड़ाव में भी उनके हौसले इतने बुलंद है कि अभी भी उन्हें मौका मिले तो दुश्मनो से लौहा लेने के लिए तैयार है।

वहीं 23 पंजाब के वीर सैनानी सतनामसिंह ने बताया कि युद्ध के दौरान उनके 120 जवानों के सामने पाकिस्तान की पुरी इन्फेन्ट्री ब्रिगेड ने टी-59 टेकों की एक रेजीमेंट के साथ इस पोस्ट पर जो हमला किया था उस दौरान मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने देश के वीर योद्धाओं के किस्से-कहानियां सुनाकर उन्हें प्रेरणा देते थे कि अगर लड़ते हुए शहीद हुए तो वीर कहलाओगें और पीछे हटे तो जीने का कोई मकसद नहीं। युद्ध में ये जवान ऐसे लड़ें कि दुश्मन की सेना को लगा कि ये मात्र 120 जवान नहीं बल्कि हजारों की संख्या में तैनात है और सुबह तक दुश्मन को रोके रखा और सुबह होते ही भारतीय वायुसेना के जैसलमेर स्टेशन से हंटर विमानों उड़ान भरकर पाक टैकों पर हमला किया और लौगेंवाला को पाक टैकों का कब्रगाह बना दिया।

बाईट-1-भैरुसिंह, वीर सैनानी, 14 बटालियन बीएसएफ

बाईट-2- सतनामसिंह, वीर सैनानी 23 पंजाब

बाईट-3- रिटायर्ड कर्नल जी.एस.बाजवा, वीर सैनानी 23 पंजाबConclusion:
Last Updated : Dec 21, 2019, 3:20 PM IST
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