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दीपोत्सव स्पेशल : रूप चतुर्दशी आज, नख से शिख तक सजेंगी-संवरेगी महिलाएं

पंच दिवसीय दीपोत्सव का दूसरा दिन रूप चतुर्दशी का होता है. इस दिन महिलाएं और पुरुष सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल से स्नान करते हैं. इसके साथ ही शाम तक गृहिणियां विशेष शृंगार करती है. मान्यता है कि इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने से सौंदर्य निखरता है.

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Published : Oct 26, 2019, 8:41 AM IST

Updated : Oct 26, 2019, 10:05 AM IST

जयपुर. रोशनी और खुशियों के महापर्व दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले अलग तरह से स्नान करने का विशेष महत्व है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इससे मनुष्य को यमलोक के दर्शन नहीं करने पड़ते हैं. ऐसे में आज इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और बजरंग बली की विधि-विधान से पूजा अर्चना होगी. वहीं महिलाएं और युवतियां सोलह शृंगार करेंगी. वहीं पुरुष भी स्वयं को संवारने में लगे रहेंगे.

दीपोत्सव स्पेशल : रूप चतुर्दशी आज

पंडित दामोदर शर्मा के अनुसार नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल से स्नान करने का खास महत्व है. जिसका शुभ मुहूर्त अलसुबह 5.25 बजे से लेकर 7 बजे तक है. जिसमें स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिणाविमुख हो कर दिए गए मंत्रों से प्रत्येक नाम से तीन-तीन तिलांजलि देनी होती है. इसे यम तर्पण कहा जाता है. जिससे पाप नष्ट हो जाते है. इसके साथ ही संध्या के समय देवताओं का पूजन कर दीप दान करना चाहिए.

पढ़ें- दिवाली विशेष: लोगों का दावा मां लक्ष्मी इस मंदिर में स्वयं विराजती है...मंदिर में बने हैं पैरों के निशान

नरक निव्रति के लिए चार बत्तियों वाला दीपक पूर्व दिशा में मुख कर के घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए. साथ ही ॐ के विभिन्न मंत्रों का जप करना चाहिए. बता दें कि रूप चतुर्दशी घर आंगन के साथ-साथ शारीरिक स्वच्छता और सौंदर्य का प्रतीक त्यौहार है. ऐसे में प्रदोष काल में चौराहे पर घर के बाहर तिल के तेल से भरे 14 दिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवताओं के मंदिर बाग बगीचे अन्य स्थानों पर जलाना चाहिए.

पढ़ें- धनतेरस से पंच दिवसीय दीपावली महापर्व का आगाज, जमकर होगा उजियारा

नरकासुर के वध से जुड़ी है एक कथा...

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन 16 हजार कन्याओं का उद्धार किया. ऐसे में 16 हजार कन्याओं को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष में घर-घर दीप दान की परंपरा शुरू हुई. इसी खुशी में इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करती नजर आती है. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और सोलह शृंगार करने से रूप सौंदर्य और सौभाग्य बढ़ता है.

जयपुर. रोशनी और खुशियों के महापर्व दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले अलग तरह से स्नान करने का विशेष महत्व है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इससे मनुष्य को यमलोक के दर्शन नहीं करने पड़ते हैं. ऐसे में आज इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और बजरंग बली की विधि-विधान से पूजा अर्चना होगी. वहीं महिलाएं और युवतियां सोलह शृंगार करेंगी. वहीं पुरुष भी स्वयं को संवारने में लगे रहेंगे.

दीपोत्सव स्पेशल : रूप चतुर्दशी आज

पंडित दामोदर शर्मा के अनुसार नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल से स्नान करने का खास महत्व है. जिसका शुभ मुहूर्त अलसुबह 5.25 बजे से लेकर 7 बजे तक है. जिसमें स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिणाविमुख हो कर दिए गए मंत्रों से प्रत्येक नाम से तीन-तीन तिलांजलि देनी होती है. इसे यम तर्पण कहा जाता है. जिससे पाप नष्ट हो जाते है. इसके साथ ही संध्या के समय देवताओं का पूजन कर दीप दान करना चाहिए.

पढ़ें- दिवाली विशेष: लोगों का दावा मां लक्ष्मी इस मंदिर में स्वयं विराजती है...मंदिर में बने हैं पैरों के निशान

नरक निव्रति के लिए चार बत्तियों वाला दीपक पूर्व दिशा में मुख कर के घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए. साथ ही ॐ के विभिन्न मंत्रों का जप करना चाहिए. बता दें कि रूप चतुर्दशी घर आंगन के साथ-साथ शारीरिक स्वच्छता और सौंदर्य का प्रतीक त्यौहार है. ऐसे में प्रदोष काल में चौराहे पर घर के बाहर तिल के तेल से भरे 14 दिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवताओं के मंदिर बाग बगीचे अन्य स्थानों पर जलाना चाहिए.

पढ़ें- धनतेरस से पंच दिवसीय दीपावली महापर्व का आगाज, जमकर होगा उजियारा

नरकासुर के वध से जुड़ी है एक कथा...

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन 16 हजार कन्याओं का उद्धार किया. ऐसे में 16 हजार कन्याओं को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष में घर-घर दीप दान की परंपरा शुरू हुई. इसी खुशी में इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करती नजर आती है. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन जल में औषधि मिलाकर स्नान करने और सोलह शृंगार करने से रूप सौंदर्य और सौभाग्य बढ़ता है.

Intro:नोट- खबर को अलसुबह जल्दी लगाएं, बाकी महिलाओं के विजुअल उपयोग में ले.

दीपोत्सव के दूसरे दिन यानी आज रूप चतुर्दशी पारंपरिक व हर्षोल्लास से मनाई जा रही है. जहाँ महिलाएं व पुरुष सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल से स्नान कर रहे है. तो वही शाम तक गृहणियां विशेष श्रंगार कर घर आंगन को दीपमालाओं से रोशन करेंगी.


Body:जयपुर : दीपों के सबसे बड़े महोत्सव दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी यानी मुक्ति पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले अलग तरह से स्नान करने का विशेष महत्व है. इससे मनुष्य को यमलोक का दर्शन नहीं करना पड़ता है. ऐसे में आज इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण, यमराज और बजरंगबली की विधिविधान से पूजा अर्चना होगी. तो वही महिलाएं और युवतियां सोलह श्रृंगार में नजर आएगी. ऐसे में पुरुष भी स्वयं को संवारने में लगे रहेंगे.

पंडित दामोदर शर्मा के अनुसार नरक चतुर्दशी के इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन और तेल से स्नान करने का खास महत्व है. जिसका शुभ मुहूर्त अलसुबह 5.25 बजे से लेकर 7 बजे तक रहेगा. जिसमें स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर तिलक लगाकर दक्षिणाविमुख हो कर दिए गए मंत्रों से प्रत्येक नाम से तीन-तीन तिलांजलि देनी होती है. इसे यम तर्पण कहा जाता है जिससे पाप नष्ट हो जाते है. तो वही संध्या के समय देवताओं का पूजन कर दीप दान करना चाहिए. नरक निव्रति के लिए चार बत्तियों वाला दीपक पूर्व दिशा में मुख कर के घर के मुख्य द्वार पर रखना चाहिए. साथ ही ॐ के विभिन्न मंत्रो का जप करना चाहिए. बता दे कि रूप चौदस घर आंगन के साथ-साथ शारीरिक स्वच्छता व सौंदर्य का प्रतीक त्योहार है. ऐसे में प्रदोष काल में चौराहे पर घर के बाहर तिल के तेल से भरे 14 दिए ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवताओं के मंदिर बाग बगीचे अन्य स्थानों पर जलाने का विशेष महत्व है.

तो वही भगवान कृष्ण ने इस दिन 16 हजार कन्याओं का उद्धार किया. ऐसे में 16 हजार कन्याओं को मुक्ति और नरकासुर के वध के उपलक्ष में घर-घर दीप दान की परंपरा शुरू हुई. इसी खुशी में इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती नजर आती है. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है,की इस दिन जल में ओषधि मिलाकर स्नान करने और सोलह श्रृंगार करने से रूप सौंदर्य और सौभाग्य बढ़ता है.

बाइट- दामोदर शर्मा, पंडित


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Last Updated : Oct 26, 2019, 10:05 AM IST
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