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पड़ताल: कहीं जागरूकता, तो कहीं 'सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत' अभियान की उड़ी धज्जियां

देवउठनी ग्यारस पर शनिवार को जयपुर में कई शादियां हुईं. इस दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान की जमकर धज्जियां उड़ी. कुछ एक शादियों में जरूर कागज की लुगदी और लकड़ी से बने डिस्पोजल इस्तेमाल किए गए, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी शादियों में प्लास्टिक की सामग्री पर लगाम नहीं लग पाई.

जयपुर, single use plastic
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Published : Nov 9, 2019, 5:54 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 7:31 PM IST

जयपुर. शनिवार को जयपुर में 1500 से ज्यादा शादियां हुईं. शादियों से पहले मैरिज गार्डन से लेकर कैटरर्स तक सभी ने सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने को लेकर लाख दावे किए. इन्हीं दावों की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत शहर की कुछ शादियों में पहुंचा. यहां खूबसूरत डेकोरेशन, बैंड बाजे के साथ बारात और लजीज खाने के बीच एक बार फिर पर्यावरण को दूषित करने वाली प्लास्टिक नजर आए.

शादियों में प्लास्टिक यूज को लेकर कुछ हद तक जागरुक दिखे लोग

पानी का काउंटर हो या गोल गप्पे के स्टॉल, सभी पर प्लास्टिक से बने डिस्पोजल इस्तेमाल किए गए. इस दौरान ना तो किसी मैरिज गार्डन संचालक ने इस पर रोक लगाई और ना ही कैटरर्स ने आयोजकों से समझाइश की. कुछ एक शादियों में आयोजकों की जागरुकता, कैटर्स की समझदारी और मैरिज गार्डन संचालकों की पहल का नतीजा था, कि यहां कागज की लुगदी और लकड़ी से बने डिस्पोजल काम में लिए गए.

यहां आयोजक भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से जुड़ने की बात कहते हुए नजर आए. आयोजकों की माने तो जिस वस्तु से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, उसका इस्तेमाल शादियों में नहीं होना चाहिए. यही वजह रही कि उन्होंने अधिक चार्ज तो दिया, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक मटेरियल का इस्तेमाल नहीं किया. वहीं कुछ एक कैटर्स भी इस पर सख्ती से अड़े रहे.

पढ़ें: कोटा: एहतियात के तौर पर पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात, कर रही फ्लैग मार्च

बता दें कि ईटीवी भारत की पड़ताल में 30 फीसदी शादियों में कैटरर्स और मैरिज गार्डन संचालक सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ खड़े नजर आए. लेकिन, जहां इसका इस्तेमाल हुआ वहां से एक ही सवाल उठा कि आखिर सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन पर ही बैन क्यों नहीं लगा दिया जाता.

जयपुर. शनिवार को जयपुर में 1500 से ज्यादा शादियां हुईं. शादियों से पहले मैरिज गार्डन से लेकर कैटरर्स तक सभी ने सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने को लेकर लाख दावे किए. इन्हीं दावों की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत शहर की कुछ शादियों में पहुंचा. यहां खूबसूरत डेकोरेशन, बैंड बाजे के साथ बारात और लजीज खाने के बीच एक बार फिर पर्यावरण को दूषित करने वाली प्लास्टिक नजर आए.

शादियों में प्लास्टिक यूज को लेकर कुछ हद तक जागरुक दिखे लोग

पानी का काउंटर हो या गोल गप्पे के स्टॉल, सभी पर प्लास्टिक से बने डिस्पोजल इस्तेमाल किए गए. इस दौरान ना तो किसी मैरिज गार्डन संचालक ने इस पर रोक लगाई और ना ही कैटरर्स ने आयोजकों से समझाइश की. कुछ एक शादियों में आयोजकों की जागरुकता, कैटर्स की समझदारी और मैरिज गार्डन संचालकों की पहल का नतीजा था, कि यहां कागज की लुगदी और लकड़ी से बने डिस्पोजल काम में लिए गए.

यहां आयोजक भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से जुड़ने की बात कहते हुए नजर आए. आयोजकों की माने तो जिस वस्तु से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, उसका इस्तेमाल शादियों में नहीं होना चाहिए. यही वजह रही कि उन्होंने अधिक चार्ज तो दिया, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक मटेरियल का इस्तेमाल नहीं किया. वहीं कुछ एक कैटर्स भी इस पर सख्ती से अड़े रहे.

पढ़ें: कोटा: एहतियात के तौर पर पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात, कर रही फ्लैग मार्च

बता दें कि ईटीवी भारत की पड़ताल में 30 फीसदी शादियों में कैटरर्स और मैरिज गार्डन संचालक सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ खड़े नजर आए. लेकिन, जहां इसका इस्तेमाल हुआ वहां से एक ही सवाल उठा कि आखिर सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन पर ही बैन क्यों नहीं लगा दिया जाता.

Intro:जयपुर - देवउठनी ग्यारस पर आज जयपुर में 1500 से ज्यादा शादियों हुई। इस दौरान सिंगल न्यूज़ प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान की जमकर धज्जियां उड़ी। कुछ एक शादियों में जरूर कागज की लुगदी और लकड़ी से बने डिस्पोजल इस्तेमाल किए गए। बाकी लाख कोशिशों के बावजूद भी शादियों में प्लास्टिक की सामग्री पर लगाम नहीं लग पाई।


Body:शादियों से पहले मैरिज गार्डन से लेकर कैटरर्स तक सभी ने सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने को लेकर लाख दावे किए। इन्हीं दावों की पड़ताल करने के लिए आज ईटीवी भारत शहर की कुछ शादियों में पहुंचा। यहां खूबसूरत डेकोरेशन, बैंड बाजे के साथ बारात और लजीज खाने के बीच एक बार फिर पर्यावरण को दूषित करने वाली प्लास्टिक नजर आई। पानी का काउंटर हो या गोलगप्पे के स्टॉल सभी पर प्लास्टिक से बने डिस्पोजल इस्तेमाल किए गए। इस दौरान ना तो किसी मैरिज गार्डन संचालक ने इस पर रोक लगाई। और ना ही कैटरर्स ने आयोजकों से समझाइश की।

हां, कुछ एक शादियों में आयोजकों की जागरूकता, कैटरर्स की समझदारी और मैरिज गार्डन संचालकों की पहल का नतीजा था, कि यहां कागज की लुगदी और लकड़ी से बने डिस्पोजल काम में लिए गए। यहां आयोजक भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल से जुड़ने की बात कहते हुए नजर आए। आयोजकों की माने तो जिस वस्तु से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, उसका इस्तेमाल शादियों में नहीं होना चाहिए। यही वजह रही कि उन्होंने अधिक चार्ज तो दिया, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक मटेरियल का इस्तेमाल नहीं किया। वहीं कुछ एक कैटरर्स भी इस पर सख्ती से अड़े रहे।
बाइट - अंजलि, आयोजक
बाइट - राकेश, आयोजक
बाइट - प्रदीप जैन, कैटरर


Conclusion:ईटीवी भारत की पड़ताल में 30 फ़ीसदी शादियों में ही आयोजक, कैटरर्स और मैरिज गार्डन संचालक सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ खड़े नजर आए। लेकिन जहां इसका इस्तेमाल हुआ वहां से एक ही सवाल उठा कि आखिर सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उत्पादन पर ही बैन क्यों नहीं लगा दिया जाता।
Last Updated : Nov 9, 2019, 7:31 PM IST
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