जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज परिचालक भर्ती 2010 के मामले में एकलपीठ के उन आदेशों की क्रियान्विति को स्थगित कर दिया है, जिसमें एकलपीठ ने मेरिट से बाहर हो रहे 552 परिचालकों की सेवा समाप्त नहीं करने और तय पदों से अधिक पर नियुक्तियां नहीं देने का आदेश दिए थे. इसके साथ ही अदालत ने रोडवेज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश किशनलाल बैरवा व अन्य की अपील पर दिए.
अपील में अधिवक्ता विज्ञान शाह ने अदालत को बताया कि रोडवेज ने वर्ष 2010 में पचिालक के 973 पदों पर भर्ती निकाली थी. प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी वरीयता सूची में अपीलार्थी सहित 441 अभ्यर्थी चयनित हो गए, जबकि पूर्व में चयनीत और काम कर रहे 552 परिचालक बाहर हो गए.
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वहीं रोडवेज प्रशासन ने भी इन्हें हटाने का निर्णय लिया. इसके खिलाफ दायर याचिका पर एकलपीठ ने 19 सितंबर 2018 को आदेश जारी करते हुए इनकी सेवा समाप्त करने पर रोक लगा दी. वहीं बाद में एकलपीठ ने गत एक मई को आदेश जारी कर 973 पदों से अधिक पदों पर चयन से इंकार दिया. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी वरीयता सूची में चयनित 441 अभ्यर्थी चयन से बाहर हो गए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेशों की क्रियान्विति को स्थगित कर दिया है.