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भरतपुर: ब्रज में खास तरीके से की जाती है गोवर्धन की पूजा, आज से मन्दिरों में शुरू हुआ अन्नकूट

दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा पर्व मनाने की परंपरा सभी जगह है, लेकिन ब्रज क्षेत्र में इसको खास तरीके से मनाया जाता है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर लोग पूजा-अर्चना करते हैं. वहीं इस दिन अन्नकूट प्रसादी बनाकर वितरित करने की भी परंपरा है.

Govardhan Puja in Bharatpur, भरतपुर न्यूज
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Published : Oct 28, 2019, 5:46 PM IST

भरतपुर. दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा है. जिले में लोग अपने-अपने घरों में गोवर्धन बनाकर पूजा कर रहे हैं. इस दिन अन्नकूट प्रसादी बनाकर लोगों में वितरित करने की परंपरा है. भरतपुर जिला ब्रज क्षेत्र होने की वजह से यहां गोवर्धन पूजा खास तरीके से की जाती है.

ब्रज में खास तरीके से की जाती है गोवर्धन की पूजा

ब्रज में दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा पर्व विशेष रूप से मनाने की परंपरा है. हालांकि ये पूजा सभी जगह की जाती है, लेकिन ब्रज में ये अलग उल्लास से की जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं. फिर लोग इकट्ठा होकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं. ब्रज मंडल में गोवर्धन पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.

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पूंछरी का लौठा मंदिर के महंत ने बताया कि पुरातन कथाओं के अनुसार ब्रज में पहले देवताओं के राजा इंद्र देव की पूजा होती थी. लेकिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की पूजा कराना बंद कर दिया तो इंद्र ने बारिश से ब्रज में प्रलय मचा दिया. इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर पूरे ब्रजमंडल की रक्षा की थी. जिससे इंद्र का घमंड टूटा और इंद्र भगवान कृष्ण की शरण में आए.

जिसके बाद ब्रजवासियों ने अपने घरों से अलग-अलग तरह की खाद्य सामग्री बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करने आए. उसे ही मिलाकर अन्नकूट महाप्रसादी का रूप दिया गया. ऐसा माना जाता है कि अन्नकूट प्रसादी की परंपरा तब से ही चली आ रही है, जो आज भी जारी है.

पढ़ें- BJP-RLP गठबंधन पर टिप्पणी के बाद भाजपा का पलटवार, कहा- डेंगू के बिगड़े हालातों पर ध्यान देंः मंत्री रघु शर्मा

भरतपुर जिले के डीग, कुम्हेर, कामा, नगर, सीकरी, पहाड़ी, बयाना, भुसावर, वेर, सेवर, नदबई, रूपबास, आदि कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में भी घर-घर में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जा रहे हैं. पूरे विधि-विधान से उनका पूजन किया जा रहा है.

भरतपुर. दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा है. जिले में लोग अपने-अपने घरों में गोवर्धन बनाकर पूजा कर रहे हैं. इस दिन अन्नकूट प्रसादी बनाकर लोगों में वितरित करने की परंपरा है. भरतपुर जिला ब्रज क्षेत्र होने की वजह से यहां गोवर्धन पूजा खास तरीके से की जाती है.

ब्रज में खास तरीके से की जाती है गोवर्धन की पूजा

ब्रज में दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा पर्व विशेष रूप से मनाने की परंपरा है. हालांकि ये पूजा सभी जगह की जाती है, लेकिन ब्रज में ये अलग उल्लास से की जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं. फिर लोग इकट्ठा होकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं. ब्रज मंडल में गोवर्धन पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.

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पूंछरी का लौठा मंदिर के महंत ने बताया कि पुरातन कथाओं के अनुसार ब्रज में पहले देवताओं के राजा इंद्र देव की पूजा होती थी. लेकिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की पूजा कराना बंद कर दिया तो इंद्र ने बारिश से ब्रज में प्रलय मचा दिया. इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर पूरे ब्रजमंडल की रक्षा की थी. जिससे इंद्र का घमंड टूटा और इंद्र भगवान कृष्ण की शरण में आए.

जिसके बाद ब्रजवासियों ने अपने घरों से अलग-अलग तरह की खाद्य सामग्री बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करने आए. उसे ही मिलाकर अन्नकूट महाप्रसादी का रूप दिया गया. ऐसा माना जाता है कि अन्नकूट प्रसादी की परंपरा तब से ही चली आ रही है, जो आज भी जारी है.

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भरतपुर जिले के डीग, कुम्हेर, कामा, नगर, सीकरी, पहाड़ी, बयाना, भुसावर, वेर, सेवर, नदबई, रूपबास, आदि कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में भी घर-घर में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जा रहे हैं. पूरे विधि-विधान से उनका पूजन किया जा रहा है.

Intro:भरतपुर_08-11-2018

एंकर - भरतपुर में आज गोवर्धन पर्व की धूम मची है जहाँ गोवर्धन पूजा के लिए घर-घर में गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है और इस अवसर पर जगह जगह अन्नकूट प्रसादी बनाकर लोगों को वितरित की जाती है | गोवर्धन यानी गिर्राज महाराज यानी भगवान् कृष्ण की पूजा का यह महत्त्व हालाँकि सभी जगह है लेकिन बृज क्षेत्र में इसको विशेष रूप से मनाया जाता है जहाँ गाय के गोवर से गोवर्धन बनाया जाता है और फिर लोग इकट्ठे होकर उसकी पूजा अर्चना करते है--- ब्रजमंडल में गोवर्धन पूजा की खुशी दीपावली से भी ज्यादा मानी जाती है क्योंकि भरतपुर भी ब्रज से जुड़ा हुआ है तो यहां भी गोवर्धन पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है ।
मानसी गंगा श्रीहरि दे..गिरधर की परिक्रमा दे..कुण्ड कुण्ड चरणामृत ले..अपना जन्म सफल कर ले..मानसी गंगा श्रीहरि दे.. का जाप करते हुए श्रद्धालु गिर्राज महाराज की 21 किलोमीटर की परिक्रमा देकर पुण्य लाभ कमा रहे हैं। पूंछरी का लौठा मंदिर के महंत ने बताया कि ब्रज में पहले देवताओं के राजा इंद्र देव की पूजा होती थी और जब भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की पूजा कराना बंद कर दिया तो उन्होंने पूरे ब्रजमंडल मैं प्रलय मचा दी थी । इंद्र देव के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने अपनी छुटकी उंगली पर गिरिराज पर्वत उठाकर पूरे ब्रजमंडल की रक्षा की थी और अभिमान टूटने के बाद देवराज इंद्र उनके समक्ष शरणागत हुए थे --ब्रजवासी अपने-अपने घरों से अलग अलग तरह की जो खाद्य सामग्री भगवान कृष्ण को अर्पित करने आए थे उसे ही मिलाकर अन्नकूट महाप्रसादी का रुप दिया गया था और तब से यह परंपरा चली आ रही है जोकि आज भी जारी है---
भरतपुर के डीग, कुम्हेर,कामा ,नगर, सीकरी, पहाड़ी, बयाना, भुसावर, वेर, सेवर, नदबई, रूपबास, आदि कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में भी घर घर में आज गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जा रहे है और पूरे विधि-विधान से उनका पूजन किया जा रहा है...
बाइट -विष्णु लोहिया , सदस्य राधारमण मन्दिर Body:धूम धाम से मनाया जा रहा है गोवर्धन,बृज क्षेत्र में खास तौर पर की जाती है गोवर्धन की पूजा आज से मन्दिरो में शुरू हुआ अन्नकूटConclusion:
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