भरतपुर. दीपावली के बाद गोवर्धन पूजा मनाने की परंपरा है. जिले में लोग अपने-अपने घरों में गोवर्धन बनाकर पूजा कर रहे हैं. इस दिन अन्नकूट प्रसादी बनाकर लोगों में वितरित करने की परंपरा है. भरतपुर जिला ब्रज क्षेत्र होने की वजह से यहां गोवर्धन पूजा खास तरीके से की जाती है.
ब्रज में दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा पर्व विशेष रूप से मनाने की परंपरा है. हालांकि ये पूजा सभी जगह की जाती है, लेकिन ब्रज में ये अलग उल्लास से की जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं. फिर लोग इकट्ठा होकर उसकी पूजा-अर्चना करते हैं. ब्रज मंडल में गोवर्धन पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
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पूंछरी का लौठा मंदिर के महंत ने बताया कि पुरातन कथाओं के अनुसार ब्रज में पहले देवताओं के राजा इंद्र देव की पूजा होती थी. लेकिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव की पूजा कराना बंद कर दिया तो इंद्र ने बारिश से ब्रज में प्रलय मचा दिया. इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर पूरे ब्रजमंडल की रक्षा की थी. जिससे इंद्र का घमंड टूटा और इंद्र भगवान कृष्ण की शरण में आए.
जिसके बाद ब्रजवासियों ने अपने घरों से अलग-अलग तरह की खाद्य सामग्री बनाकर भगवान कृष्ण को अर्पित करने आए. उसे ही मिलाकर अन्नकूट महाप्रसादी का रूप दिया गया. ऐसा माना जाता है कि अन्नकूट प्रसादी की परंपरा तब से ही चली आ रही है, जो आज भी जारी है.
भरतपुर जिले के डीग, कुम्हेर, कामा, नगर, सीकरी, पहाड़ी, बयाना, भुसावर, वेर, सेवर, नदबई, रूपबास, आदि कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में भी घर-घर में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाए जा रहे हैं. पूरे विधि-विधान से उनका पूजन किया जा रहा है.