ETV Bharat / state

अनोखा है भगवान शिव का ये मंदिर, हर 12 साल में यहां गिरती है आकाशीय बिजली

हिमाचल में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां कोई न कोई चमत्कार होते रहते हैं. ऐसा ही एक मंदिर की बात आज हम करेंगे, ये मंदिर है बिजली महादेव का. भगवान शिव का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है.

Bijli Mahadev temple
author img

By

Published : Aug 11, 2019, 10:31 AM IST

कुल्लू: ईटीवी भारत की सीरीज 'रहस्य' में एक बार फिर हाजिर हैं हम एक और कहानी लेकर. अपनी सीरीज में हम देवभूमि से जुड़े ऐसी मान्यताओं ऐसे रहस्यों के बारे में अपने दर्शकों को बताते हैं जो कि न सिर्फ विज्ञान को चुनौती देते हैं बल्कि आम लोगों को अचंभित कर देते हैं.

हिमाचल में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां कोई न कोई चमत्कार होते रहते हैं. ऐसा ही एक मंदिर की बात आज हम करेंगे, ये मंदिर है बिजली महादेव का. भगवान शिव का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है.

कुल्लू शहर व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास बसा है. इसी संगम पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है बिजली महादेव का मंदिर. ये मंदिर समुद्र तल से करीब 8 हजार फिट की उंचाई पर स्थित है. भगवान शिव का ये अद्भूत मंदिर है.

यही नहीं सबसे बड़ा कुदरती करिश्मा इस मंदिर को लेकर ये है कि इस मंदिर के जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की गई है वहां हर 12 साल में बिजली गिरती है, जिसके चलते शिवलिंग पूरी तरह से खंडित हो जाता है. उस खंडित शिवलिंग को मंदिर के पुजारी द्वारा मक्खन लगाकर वापस जोड़ा जाता है, जो बाद में रहस्मयी रुप से ठोस हो जाता है.

ये भी रोचक लगेगा: नाको झील की खूबसूरती में छिपा है गहरा 'रहस्य', तांत्रिक गुरु पद्म संभव से जुड़ा है इतिहास

वहीं, इस मंदिर को लेकर कुल्लू के इतिहास से जुड़ी एक और कहानी भी प्रचलित है. माना जाता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का एक रूप है, जिसका वध भगवान शिव ने किया था. ये विशालकाय सांप कुलांत नामक दैत्य था. दैत्य कुल्लू से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया. दैत्य अजगर कुण्डली मार कर व्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था.

वीडियो.

दैत्य कुलांत का उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीव-जंतुओं को नदी के पानी में डूबो कर मर डाले. भगवान शिव कुलांत के इस विचार से चिंतित हो गए. तब भगवान शिव ने उस राक्षस अजगर को अपने विश्वास में लिया. भगवान शिव ने कुलांत के कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है. इतना सुनते ही जैसे ही कुलांत पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल से वार कर दिया. त्रिशूल के प्रहार से कुलांत मारा गया.

मान्यता है कि कुलांत के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया. उसका शरीर धरती के जितने हिस्से में फैला हुआ था वह पूरा का पूरा क्षेत्र पर्वत में बदल गया. कुल्लू घाटी का बिजली महादेव मंदिर से रोहतांग दर्रा और मंडी जिला के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है.

किंवदंती है कि दैत्य कुलांत के नाम पर ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम पड़ा. कुलांत दैत्य के मरने के बाद भगवान शिव ने इंद्र से कहा कि वे हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें. जिसके बाद हर 12 वर्ष में यहां आकाशीय बिजली गिरती है. इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है. शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित करके मंदिर का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है और कुछ समय बाद ये पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है.

ये भी रोचक लगेगा: बेजोड़ कारीगरी के नमूने हैं हजारों साल पहले बने ये मंदिर, बड़े से बड़ा भूकंप भी नहीं हिला सका इनकी नींव

कुल्लू: ईटीवी भारत की सीरीज 'रहस्य' में एक बार फिर हाजिर हैं हम एक और कहानी लेकर. अपनी सीरीज में हम देवभूमि से जुड़े ऐसी मान्यताओं ऐसे रहस्यों के बारे में अपने दर्शकों को बताते हैं जो कि न सिर्फ विज्ञान को चुनौती देते हैं बल्कि आम लोगों को अचंभित कर देते हैं.

हिमाचल में ऐसे कई मंदिर हैं, जहां कोई न कोई चमत्कार होते रहते हैं. ऐसा ही एक मंदिर की बात आज हम करेंगे, ये मंदिर है बिजली महादेव का. भगवान शिव का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है.

कुल्लू शहर व्यास और पार्वती नदी के संगम के पास बसा है. इसी संगम पर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है बिजली महादेव का मंदिर. ये मंदिर समुद्र तल से करीब 8 हजार फिट की उंचाई पर स्थित है. भगवान शिव का ये अद्भूत मंदिर है.

यही नहीं सबसे बड़ा कुदरती करिश्मा इस मंदिर को लेकर ये है कि इस मंदिर के जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की गई है वहां हर 12 साल में बिजली गिरती है, जिसके चलते शिवलिंग पूरी तरह से खंडित हो जाता है. उस खंडित शिवलिंग को मंदिर के पुजारी द्वारा मक्खन लगाकर वापस जोड़ा जाता है, जो बाद में रहस्मयी रुप से ठोस हो जाता है.

ये भी रोचक लगेगा: नाको झील की खूबसूरती में छिपा है गहरा 'रहस्य', तांत्रिक गुरु पद्म संभव से जुड़ा है इतिहास

वहीं, इस मंदिर को लेकर कुल्लू के इतिहास से जुड़ी एक और कहानी भी प्रचलित है. माना जाता है कि यह घाटी एक विशालकाय सांप का एक रूप है, जिसका वध भगवान शिव ने किया था. ये विशालकाय सांप कुलांत नामक दैत्य था. दैत्य कुल्लू से अजगर का रूप धारण कर मंडी की घोग्घरधार से होता हुआ लाहौल स्पीति से मथाण गांव आ गया. दैत्य अजगर कुण्डली मार कर व्यास नदी के प्रवाह को रोक कर इस जगह को पानी में डुबोना चाहता था.

वीडियो.

दैत्य कुलांत का उद्देश्य यह था कि यहां रहने वाले सभी जीव-जंतुओं को नदी के पानी में डूबो कर मर डाले. भगवान शिव कुलांत के इस विचार से चिंतित हो गए. तब भगवान शिव ने उस राक्षस अजगर को अपने विश्वास में लिया. भगवान शिव ने कुलांत के कान में कहा कि तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है. इतना सुनते ही जैसे ही कुलांत पीछे मुड़ा तभी शिव ने कुलान्त के सिर पर त्रिशूल से वार कर दिया. त्रिशूल के प्रहार से कुलांत मारा गया.

मान्यता है कि कुलांत के मरते ही उसका शरीर एक विशाल पर्वत में बदल गया. उसका शरीर धरती के जितने हिस्से में फैला हुआ था वह पूरा का पूरा क्षेत्र पर्वत में बदल गया. कुल्लू घाटी का बिजली महादेव मंदिर से रोहतांग दर्रा और मंडी जिला के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित मानी जाती है.

किंवदंती है कि दैत्य कुलांत के नाम पर ही कुलूत और इसके बाद कुल्लू नाम पड़ा. कुलांत दैत्य के मरने के बाद भगवान शिव ने इंद्र से कहा कि वे हर 12 साल में एक बार इस जगह पर बिजली गिराया करें. जिसके बाद हर 12 वर्ष में यहां आकाशीय बिजली गिरती है. इस बिजली से शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है. शिवलिंग के टुकड़े एकत्रित करके मंदिर का पुजारी मक्खन से जोड़कर स्थापित कर लेता है और कुछ समय बाद ये पिंडी अपने पुराने स्वरूप में आ जाती है.

ये भी रोचक लगेगा: बेजोड़ कारीगरी के नमूने हैं हजारों साल पहले बने ये मंदिर, बड़े से बड़ा भूकंप भी नहीं हिला सका इनकी नींव

Intro:Body:

Special story on Bijli Mahadev temple




Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.