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सोशल मीडिया पर लेटर वायरल होने पर शांता कुमार ने दी सफाई, उपचुनाव को लेकर कही ये बड़ी बात

शांता कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि राजनीति से न तो उन्होंने खुद को किनारा है और ना ही करेंगे. बस वे चुनावी राजनीति से दूर रहना चाहते हैं.

shanta kumar
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Published : Sep 6, 2019, 9:37 AM IST

Updated : Sep 6, 2019, 12:21 PM IST

धर्मशाला: सोशल मीडिया पर लेटर वायरल होने के बाद सियासी घमासान पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बयान जारी किया है. शांता ने स्थिति को साफ करते हुए शांता कुमार ने राजनीति के क्षेत्र में खुद को देश में सबसे संतुष्ट नेता बताया है.

जन्मदिन के बाद सक्रिय राजनीति से किनारा करने की बात पर उन्होंने कहा कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला जा रहा है. शांता कुमार ने कहा कि वह किसी भी चीज को लेकर असंतुष्ट नहीं हैं. राजनीति में उन्हें सब कुछ मिला है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि असंतुष्ट शब्द कहकर उनकी भावना को आहत न किया जाए.

शांता कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि राजनीति से न तो उन्होंने खुद को किनारा है और ना ही करेंगे. बस वे चुनावी राजनीति से दूर रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में इंसान ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाता है, लिहाजा चुनावी राजनीति से खुद को दूर करने की बात की थी. उन्होंने अपने जन्मदिन से पहले अपने मन की बात कही, लेकिन इसका गलत मतलब निकाला गया. इससे वे काफी आहत हैं.

ये भी पढ़ें: सोशल मीडिया पर चौतरफा विरोध, आम जनता ने मांगी एक रुपया भीख, सरकार दिख रही बैकफुट पर

धर्मशाला उपचुनाव को लेकर शांता कुमार ने कहा कि ये उपचुनाव जीतना हम सब की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव ही नहीं बल्कि पार्टी की हर गतविधि में वे आगे रहेंगे. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी निर्णय करेगी, वही उनका भी निर्णय होगा. शांता कुमार ने कहा कि मंत्रियों के कामकाज के संबंध में विचार और निर्णय लेना केवल मुख्यमंत्री का विषेशाधिकार है.

बता दें कि 3 सितंबर को प्रदेश के पूर्व सीएम शांता कुमार ने ट्वीट करते हुए चुनावी राजनीति को अलविदा कहा था. शांता कुमार ने लिखा था कि ये परिवर्तन उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

  • जीवन के इस वर्ष में मैंने 1967 में शुरू की हुई चुनाव की राजनीति को अलविदा कह दिया। राजनीति तो 1953 में कश्मीर आंदोलन में सत्याग्रह करके और 8 माह जेल काटकर शुरू की थी 64 साल की राजनीति तो चलती रहेगी परंतु राजनीति की सक्रियता छोडूंगा यह परिवर्तन मेरे जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है

    — Shanta Kumar (@shantakumarbjp) September 3, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एक अन्य ट्वीट में शांता कुमार ने लिखा था कि...'12 सितंबर को जीवन के 85 वर्ष पूरे करके 86वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं, खुशी मनाने का दिन है. खूब मनाऊंगा सदा की तरह घर में परिवार और मित्रों के साथ. परंतु यह दिन मेरे लिए कुछ और सोचने का दिन भी है.'

  • 12 सितंबर को जीवन के 85 वर्ष पूरे करके 86वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं खुशी मनाने का दिन है खूब मनाऊंगा सदा की तरह घर में परिवार और मित्रों के साथ । परंतु यह दिन मेरे लिए कुछ और सोचने का दिन भी है...... pic.twitter.com/aiOaXUC5dj

    — Shanta Kumar (@shantakumarbjp) September 3, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ये भी पढ़ें: किन्नौर क्रिकेट टीम के कप्तान को मंत्री के नाम पर धमकी, CM बोले- सत्यता का पता लगाना जरूरी

धर्मशाला: सोशल मीडिया पर लेटर वायरल होने के बाद सियासी घमासान पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने बयान जारी किया है. शांता ने स्थिति को साफ करते हुए शांता कुमार ने राजनीति के क्षेत्र में खुद को देश में सबसे संतुष्ट नेता बताया है.

जन्मदिन के बाद सक्रिय राजनीति से किनारा करने की बात पर उन्होंने कहा कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला जा रहा है. शांता कुमार ने कहा कि वह किसी भी चीज को लेकर असंतुष्ट नहीं हैं. राजनीति में उन्हें सब कुछ मिला है. उन्होंने लोगों से अपील की है कि असंतुष्ट शब्द कहकर उनकी भावना को आहत न किया जाए.

शांता कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि राजनीति से न तो उन्होंने खुद को किनारा है और ना ही करेंगे. बस वे चुनावी राजनीति से दूर रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में इंसान ज्यादा सक्रिय नहीं रह पाता है, लिहाजा चुनावी राजनीति से खुद को दूर करने की बात की थी. उन्होंने अपने जन्मदिन से पहले अपने मन की बात कही, लेकिन इसका गलत मतलब निकाला गया. इससे वे काफी आहत हैं.

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धर्मशाला उपचुनाव को लेकर शांता कुमार ने कहा कि ये उपचुनाव जीतना हम सब की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि उपचुनाव ही नहीं बल्कि पार्टी की हर गतविधि में वे आगे रहेंगे. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी निर्णय करेगी, वही उनका भी निर्णय होगा. शांता कुमार ने कहा कि मंत्रियों के कामकाज के संबंध में विचार और निर्णय लेना केवल मुख्यमंत्री का विषेशाधिकार है.

बता दें कि 3 सितंबर को प्रदेश के पूर्व सीएम शांता कुमार ने ट्वीट करते हुए चुनावी राजनीति को अलविदा कहा था. शांता कुमार ने लिखा था कि ये परिवर्तन उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

  • जीवन के इस वर्ष में मैंने 1967 में शुरू की हुई चुनाव की राजनीति को अलविदा कह दिया। राजनीति तो 1953 में कश्मीर आंदोलन में सत्याग्रह करके और 8 माह जेल काटकर शुरू की थी 64 साल की राजनीति तो चलती रहेगी परंतु राजनीति की सक्रियता छोडूंगा यह परिवर्तन मेरे जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है

    — Shanta Kumar (@shantakumarbjp) September 3, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

एक अन्य ट्वीट में शांता कुमार ने लिखा था कि...'12 सितंबर को जीवन के 85 वर्ष पूरे करके 86वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं, खुशी मनाने का दिन है. खूब मनाऊंगा सदा की तरह घर में परिवार और मित्रों के साथ. परंतु यह दिन मेरे लिए कुछ और सोचने का दिन भी है.'

  • 12 सितंबर को जीवन के 85 वर्ष पूरे करके 86वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं खुशी मनाने का दिन है खूब मनाऊंगा सदा की तरह घर में परिवार और मित्रों के साथ । परंतु यह दिन मेरे लिए कुछ और सोचने का दिन भी है...... pic.twitter.com/aiOaXUC5dj

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Intro:धर्मशाला- पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का  सोसल  मीडिया में  अपने पत्र के वायरल होने के बाद मचे सियासी घमासान पर शांता कुमार ने बयान जारी कर स्थिति को साफ करने की कोशिश की है। शांता कुमार ने कहा कि राजनीति में वह पूरे देश में सबसे संतुष्ट नेता हैं। जन्मदिन के बाद सक्रिय राजनीति से किनारा करने पर उन्होंने कहा कि उनकी बातों का गलत मतलब निकाला जा रहा है। वह किसी चीज से असंतुष्ट नहीं हैं। उन्हें सब कुछ मिला है। असंतुष्ट शब्द कहकर उन्हें आहत न किया जाए।




Body:उनका कहना है कि राजनीति से न उन्होंने किनारा किया और न करेंगे। वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस आयु में जवानी के बराबर सक्रियता नहीं रहती। इस बार 12 सितंबर को जन्मदिन से पहले उन्होंने अपने मन की बात कही, लेकिन दुख है कि इसका गलत मतलब निकाल लिया गया। हालांकि, विवेकानंद ट्रस्ट में उन्होंने और अधिक काम करने का निर्णय किया है। धर्मशाला उपचुनाव जीतना हम सब की जिम्मेदारी है। पिछले लोकसभा चुनाव में वह उम्मीदवार नहीं थे लेकिन पहले से भी अधिक उन्होंने चुनाव में काम किया।




Conclusion:अब धर्मशाला उपचुनाव ही नहीं, पार्टी के हर काम में उन्हें सबसे आगे पाओगे। उन्होंने कहा चुनाव के लिए हमारा सुझाव होता है, कोई उम्मीदवार नहीं होता। उम्मीदवार तो पार्टी का होता है। पार्टी जो भी निर्णय करेगी, वही उनका भी निर्णय होगा। मंत्रियों के कामकाज के संबंध में विचार और निर्णय लेना केवल मुख्यमंत्री का विषेशाधिकार है। फिर भी मंत्री हमारे हैं और उनसे बात होती रहती है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर बड़े स्तर पर सेवा सप्ताह मना रही है। 
Last Updated : Sep 6, 2019, 12:21 PM IST
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