करनाल: धान की कटाई के बाद बचे अवशेषों आदि से बायोगैस बनाने वाला देश का पहला संयंत्र करनाल के घरौंडा के गांव कौंड में लगाया जा रहा है. जिसका भूमि पूजन बीते 18 अक्टूबर को देश की सबसे बड़ी सीएनजी वितरक कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के प्रबंधक निर्देशक पीएस रंगनाथन ने किया.
पराली से बनेगी बायोगैस
कंपनी के अधिकारी अंकुश जैन ने बताया कि विशेष मशीनरी द्वारा धान की पराली को काट कर उसका गट्ठर बनाया जाएगा ताकि प्रणाली का पूरे साल भर के लिए भंडारण बनाया जा सके. इसी भंडारण से ये संयंत्र साल भर चलेगा. इस संयंत्र की क्षमता साल में 20 हजार एकड़ धान के खेतों की पराली को बायोगैस में बदलने की होगी.
2020 तक बनकर तैयार होगा प्लांट
कंपनी इस बायोगैस का वितरण करनाल में ही करेगी. संयंत्र मई 2020 तक बनकर तैयार हो जाएगा. सतत योजना के तहत अजय बायोगैस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड बना रही है. मुख्य कच्चा माल के तौर पर धान की पराली का इस्तेमाल किया जाएगा.
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हर साल 40 हजार टन पराली की खपत
इसकी क्षमता हर साल 40 हजार टन पराली की खपत करने की होगी. इससे तैयार बायोगैस का घर, वाहन चलाने, ट्रैक्टर और अन्य भारी मशीनों के साथ जनरेटर के लिए किया जा सकेगा. संयंत्र से प्राप्त अवशेष जैविक होंगे और इसका इस्तेमाल जैविक खेती में खाद के तौर पर किया जा सकेगा.
किसानों को मिलेगा पराली का उचित दाम
इस प्लांट के लिए विशेष मशीनरी द्वारा धान की पराली को काट कर उसका गट्ठर बनाया जाएगा. इससे किसानों को पराली का उचिद दाम मिलेगा और प्रदूषण भी नहीं होगा.