येरूशलमः इजरायल में सुप्रीम कोर्ट ने दक्षिणपंथी पार्टी के दो सदस्यों को नस्लावादी करार दिया है. कोर्ट ने दोनों सदस्यों के 17 सितंबर को होने वाले आम चुनावों में भाग लेने पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि ज्यूश पावर पार्टी के सदस्य इजरायल बेंजी गोप्सटीन और बरुच मार्जेल आम चुनाव में नहीं खड़े हो सकते है. सुप्रीम कोर्ट ने नस्लवाद पर रोक लगाने वाले कानून का हवाला देते हुए दोनों सदस्य के खिलाफ यह फैसला सुनाया है.
कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित दोनों सदस्य दिवंगत रेसिस्ट मीर कहाने के अनुयायी है.
बता दें कि मीर कहाने ने एक मूवमेंट शुरू किया था, जिसका मकसद इजरायल से अरब के लोगों को खदेड़ना था.
गौरतलब है कि 1990 में कहाने की विचारधारा के कारण न्यूयॉर्क में एक हत्या हो गई थी.
मीर कहाने की विचारधारा से बारूक गोलस्टीन भी प्रभावित हुए थे, जिसने 1994 में हब्रोन में 29 फिलीस्तीनियों को मौत के घाट उतार दिया था.
अदालत ने यहूदी ज्यूश पावर पार्टी के सदस्य इटमार बेन-गवीर को प्रतिबंधित करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है और उम्मीदवारी को बरकारार रखा है.
बेन-गवीर ने अपने लिविंग रूम में गोलस्टीन तस्वीर होने की बात को स्वीकार्य किया है, लेकिन कथित तौर पर यह कहा जाता है कि वह एक चिकित्सक था, जिसने फिलीस्तीन हमले में यहूदियों को हमले से बचाया था.
बेन गवीर ने कहा कि उन पर अब तक 53 बार मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन वे 46 मामलों में बरी हुए हैं. साथ ही बेन ने कहा कि कोर्ट के न्यायाधीश के सुझाव पर उन्होंने कानून पढ़ना शूरू किया, जिससे वे उन पर चल रहे मामलों में खुद पैरवी कर सकें.
बेन गवीर बेस्ट बैंक में होने वाले हमले का जिम्मेदार है. क्योंकि उसने 2015 में 18 महीने के एक मासूम बच्चे की और उसके पिता की हत्या कर दी थी, यह घटना देश में व्यापक विद्रोह का कारण बनी थी.
ज्यूश पावर पार्टी ने फिलीस्तीनियों और इजरायल में रहने वाले अरब के लोगों पर हमला करने वाले लोगों को इजरायल से बाहर करने की मांग की है.
ज्यूश पावर पार्टी इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक को बंद करने की मांग भी करता है, क्योंकि यहां 2.5 मिलियन से अधिक फिलीस्तीनी निवास करते है.
लेकिन प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक सौदे के तहत दो दलों के साथ चुनावी गठबंधन करते हुए देखा गया है.
इस संधि ने इजरायल में और विदेशों में विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में यहूदी समुदायों के बीच घृणा पैदा करने का काम किया है. नेतन्याहू ने आने वाले चुनाव को देखते हुए यह गठबंधन किया है.
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उन्होंने यह कहकर इसका बचाव किया कि वह नहीं चाहते हैं कि कोई दक्षिणपंथी वोट बर्बाद करें क्योंकि वे अपने अगले गठबंधन की योजना बना रहें है.
बता दें कि इजरायल में इसी साल अप्रैल में चुनाव हुए थे, लेकिन किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश किया था लेकिन वे गठबंधन सरकार बनाने में नाकाम रहे.
इसके बाद इजरायली सांसदों ने संसद को भंग करने के पक्ष में वोटिंग की. इसके बाद 17 सितंबर को फिर से चुनाव कराने की तारीख तय की गई है.