इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत ने अपने 167 पन्नों के विस्तृत फैसले में लिखा है कि यदि उनकी फांसी से पहले मौत हो जाती है तो उनके शव को घसीटने के बाद इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिन तक लटकाया जाएगा.
पाकिस्तान के हालिया इतिहास में पहली बार एक विशेष अदालत ने इसी सप्ताह राजद्रोह के आरोप में पूर्व सैन्य जनरल को मौत की सजा सुनाई.
कोर्ट ने कहा, 'हम कानून लागू करने वाली एजेंसियों को भगोड़े / दोषी को पकड़ने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का निर्देश देते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सजा कानून के अनुसार दी गई है. अगर मुशर्रफ को मृत पाया जाता है, तो उनकी लाश को डी-चौक, इस्लामाबाद, पाकिस्तान में घसीटा जाए और वहां लाश को तीन दिनों तक लटका कर रखा जाए.
बता दें कि मंगलवार को पेशावर उच्च न्यायालय (PHC) के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अगुआई में तीन सदस्यीय पीठ में अपना फैसला सुनाया था. इस पीठ के अन्य दो सदस्य - सिंध उच्च न्यायालय (SHC) के न्यायमूर्ति नजर अकबर और लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शाह करीम शामिल थे. संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ को दोषी पाया गया था.
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अदालत उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर 28 नवंबर को फैसले की घोषणा करने वाली थी, लेकिन इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा घोषणा के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद फैसले की घोषणा को रोक दिया गया था.
इससे पहले 2016 से, मुशर्रफ चिकित्सा के आधार पर दुबई में चले गए थे. और तब से देश नहीं लौटे हैं.
बता दें कि पूर्व सैन्य तानाशाह का उच्च राजद्रोह का मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित है.
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उन्हें 31 मार्च 2014 को आरोपित किया गया था और अभियोजन पक्ष ने उसी साल सितंबर में विशेष अदालत के समक्ष पूरे सबूत पेश किए थे.
हालांकि, अपीलीय मंचों पर मुकदमेबाजी के कारण, मुशर्रफ के मुकदमे पर रोक लगी और उन्होंने मार्च 2016 में चिकित्सा उपचार के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया था.
इसके बाद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था क्योंकि वह बार-बार समन के बावजूद अदालत में पेश नही हुए. इसके बाद अदालत ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश जारी किया.