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मुशर्रफ की लाश इस्लामाबाद डी-चौक पर तीन दिन तक लटकाई जाए : कोर्ट

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत ने अपने 167 पन्नों के फैसले में कहा है कि उसने पूर्व तानाशाह को कानून के अनुसार सजा दी है और अगर फांसी से पहले उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उनकी लाश को डी-चौक, इस्लामाबाद, पाकिस्तान में घसीटा जाए और फिर उसे तीन दिन तक लटका कर रखा जाए.

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परवेज मुशर्रफ ( फाइल फोटो)
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Published : Dec 19, 2019, 9:31 PM IST

Updated : Dec 20, 2019, 11:21 AM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत ने अपने 167 पन्नों के विस्तृत फैसले में लिखा है कि यदि उनकी फांसी से पहले मौत हो जाती है तो उनके शव को घसीटने के बाद इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिन तक लटकाया जाएगा.

पाकिस्तान के हालिया इतिहास में पहली बार एक विशेष अदालत ने इसी सप्ताह राजद्रोह के आरोप में पूर्व सैन्य जनरल को मौत की सजा सुनाई.

कोर्ट ने कहा, 'हम कानून लागू करने वाली एजेंसियों को भगोड़े / दोषी को पकड़ने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का निर्देश देते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सजा कानून के अनुसार दी गई है. अगर मुशर्रफ को मृत पाया जाता है, तो उनकी लाश को डी-चौक, इस्लामाबाद, पाकिस्तान में घसीटा जाए और वहां लाश को तीन दिनों तक लटका कर रखा जाए.

बता दें कि मंगलवार को पेशावर उच्च न्यायालय (PHC) के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अगुआई में तीन सदस्यीय पीठ में अपना फैसला सुनाया था. इस पीठ के अन्य दो सदस्य - सिंध उच्च न्यायालय (SHC) के न्यायमूर्ति नजर अकबर और लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शाह करीम शामिल थे. संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ को दोषी पाया गया था.

ये भी पढ़ें: मुझे मिली सजा निजी प्रतिशोध पर आधारित है : परवेज मुशर्रफ

अदालत उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर 28 नवंबर को फैसले की घोषणा करने वाली थी, लेकिन इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा घोषणा के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद फैसले की घोषणा को रोक दिया गया था.

इससे पहले 2016 से, मुशर्रफ चिकित्सा के आधार पर दुबई में चले गए थे. और तब से देश नहीं लौटे हैं.

बता दें कि पूर्व सैन्य तानाशाह का उच्च राजद्रोह का मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित है.

पढ़ें - मुशर्रफ को मौत की सजा : PAK के नेताओं ने फैसले की सराहना की, सरकार करेगी समीक्षा

उन्हें 31 मार्च 2014 को आरोपित किया गया था और अभियोजन पक्ष ने उसी साल सितंबर में विशेष अदालत के समक्ष पूरे सबूत पेश किए थे.

हालांकि, अपीलीय मंचों पर मुकदमेबाजी के कारण, मुशर्रफ के मुकदमे पर रोक लगी और उन्होंने मार्च 2016 में चिकित्सा उपचार के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया था.

इसके बाद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था क्योंकि वह बार-बार समन के बावजूद अदालत में पेश नही हुए. इसके बाद अदालत ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश जारी किया.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के पूर्व सैनिक तानाशाह परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाली विशेष अदालत ने अपने 167 पन्नों के विस्तृत फैसले में लिखा है कि यदि उनकी फांसी से पहले मौत हो जाती है तो उनके शव को घसीटने के बाद इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिन तक लटकाया जाएगा.

पाकिस्तान के हालिया इतिहास में पहली बार एक विशेष अदालत ने इसी सप्ताह राजद्रोह के आरोप में पूर्व सैन्य जनरल को मौत की सजा सुनाई.

कोर्ट ने कहा, 'हम कानून लागू करने वाली एजेंसियों को भगोड़े / दोषी को पकड़ने के लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने का निर्देश देते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सजा कानून के अनुसार दी गई है. अगर मुशर्रफ को मृत पाया जाता है, तो उनकी लाश को डी-चौक, इस्लामाबाद, पाकिस्तान में घसीटा जाए और वहां लाश को तीन दिनों तक लटका कर रखा जाए.

बता दें कि मंगलवार को पेशावर उच्च न्यायालय (PHC) के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अगुआई में तीन सदस्यीय पीठ में अपना फैसला सुनाया था. इस पीठ के अन्य दो सदस्य - सिंध उच्च न्यायालय (SHC) के न्यायमूर्ति नजर अकबर और लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शाह करीम शामिल थे. संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ को दोषी पाया गया था.

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अदालत उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर 28 नवंबर को फैसले की घोषणा करने वाली थी, लेकिन इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा घोषणा के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद फैसले की घोषणा को रोक दिया गया था.

इससे पहले 2016 से, मुशर्रफ चिकित्सा के आधार पर दुबई में चले गए थे. और तब से देश नहीं लौटे हैं.

बता दें कि पूर्व सैन्य तानाशाह का उच्च राजद्रोह का मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित है.

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उन्हें 31 मार्च 2014 को आरोपित किया गया था और अभियोजन पक्ष ने उसी साल सितंबर में विशेष अदालत के समक्ष पूरे सबूत पेश किए थे.

हालांकि, अपीलीय मंचों पर मुकदमेबाजी के कारण, मुशर्रफ के मुकदमे पर रोक लगी और उन्होंने मार्च 2016 में चिकित्सा उपचार के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया था.

इसके बाद पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था क्योंकि वह बार-बार समन के बावजूद अदालत में पेश नही हुए. इसके बाद अदालत ने संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश जारी किया.

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.ISLAMABAD FGN28
PAK-MUSHARRAF-VERDICT
Drag Musharraf's body to central square in Islamabad, hang for 3 days: Pak court
By Sajjad Hussain
         Islamabad, Dec 19 (PTI) Pakistan's special court which sentenced former military ruler Pervez Musharraf to death in its detailed judgement on Thursday said that his body should be dragged to the central square in Islamabad and hanged for three days if he dies before his execution.
         The 167-page detailed judgement was authored by Peshawar High Court Chief Justice Waqar Ahmad Seth, who headed the three-member court that sentenced Musharraf to death on Tuesday for subverting the Constitution.
         "As a necessary corollary to what has been observed we find the accused guilty as per charge. The convict be hanged by his neck till he dies on each count as per charge," the verdict said.
         Justice Seth wrote that Musharraf should be hanged even if he dies before his execution.
         "We direct the law enforcement agencies to strive their level best to apprehend the fugitive/convict and to ensure that the punishment is inflicted as per law and if found dead, his corpse be dragged to the D-Chowk, Islamabad, Pakistan and be hanged for 03 days," he wrote.
         The verdict was split by 2-1 as Justice Shahid Karim of the Lahore High Court supported the death sentence while Justice Nazar Akbar of the Sindh High Court disagreed and wrote a dissenting note. PTI SH
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Last Updated : Dec 20, 2019, 11:21 AM IST
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