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शीला दीक्षित : दिल्ली की दुलारी से 'शिल्पकार' बनने तक का सफरनामा...

31 मार्च 1938 में पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला दीक्षित ने 20 जुलाई 2019 को दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. शीला ने दिल्ली की तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभाई थी. देखें शीला के जीवन से जुड़ी ईटीवी भारत की खास पेशकश...

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Published : Jul 21, 2019, 12:25 PM IST

Updated : Jul 21, 2019, 6:04 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है. शीला दीक्षित वो नाम है, जो भारतीय राजनीति के इतिहास से कभी नहीं मिट सकता है. 31 मार्च 1938 में पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला दीक्षित ने दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली.

भारतीय राजनीति में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद न सिर्फ संभाला बल्कि दिल्ली के विकास की तस्वीर भी बदल दी.

देखें दिल्ली की शक्ल बदलने वाली शीला का सफरनामा

राजनीति में धाक जमाने वाली शीला ने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की.

उनका राजनीतिक सफर 1984 से उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से शुरू हुआ. शीला 1984 से 1989 तक कन्नौज की सांसद रहीं. इस दौरान वह लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी का हिस्सा भी रहीं.

शीला दीक्षित को दिल्ली का चेहरा बदलने का श्रेय दिया जाता है और इस बात में कोई दोराय नहीं... उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में कई विकास कार्य हुए. वह 1998 में पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. उसके बाद 2003 और 2008 में भी दिल्ली की सत्ता पर शीला ही काबिज रहीं. उनका राजनीतिक सफर बस यहीं नहीं थमा, मुख्यमंत्री रहने के बाद शीला दीक्षित केरल की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं.

उनके कार्यकाल की खासबात यह है कि इस दौरान केंद्र में भाजपा की सरकार रही लेकिन इसके बावजूद शीला दीक्षित ने बेहतर तालमेल और अपनी सूझबूझ से ऐसे कई बड़े प्रोजेक्टस को लागू किया, जिससे दिल्ली और वहां रहने वालों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया.

इनमें मेट्रो, हाईवे, बिजली समेत कई अन्य प्रोजेक्टस शामिल हैं. शीला के इन कामों को न सिर्फ दिल्ली बल्कि देश भी हमेशा याद रखेगा. शीला दीक्षित ने 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन भी कराया, जिसमें 50 से अधिक देशों की टीमें दिल्ली आई.

सबसे अहम बात है कि शीला दीक्षित के 15 साल के कार्यकाल में ही दिल्ली को 24 घंटे बिजली मिलना शुरू हुई. कई पावर प्लांट लगाए गए इसके अलावा सरप्लस बिजली वाले राज्यों से समझौते कर शीला दीक्षित की सरकार ने दिल्ली में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की.

पढ़ें- दिल्ली वालों के लिए मां की तरह थीं शीला दीक्षित...

दिल्ली में फ्लाईओवर, सड़क, डीटीसी बस सेवा, अस्पताल, यूनिवर्सिटी और मेट्रो को स्थापित करने में शीला दीक्षित का बड़ा अहम योगदान माना जाता है. ब्लू लाइन बसों को हटाकर नये किस्म की बसों को डीटीसी के बेड़े में शामिल करने जैसे फैसले भी शीला ने ही किये थे.

इसके अलावा दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री रहते हुए सीएनजी की व्यवस्था की. एक समय दिल्ली को बीजेपी का गढ़ माना जाता था, लेकिन शीला दीक्षित ही वह नेता थीं, जिन्होंने बीजेपी के कब्जे से दिल्ली को निकालकर कांग्रेस को सत्ता पर बैठाया था.

ये देश उन्हें एक चहेती मुख्यमंत्री, शानदार नेता और एक महान शख्सियत के तौर पर हमेशा याद रखेगा, जिनकी राजनीति में कमी कोई पूरी नहीं कर सकता.

नई दिल्ली: दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है. शीला दीक्षित वो नाम है, जो भारतीय राजनीति के इतिहास से कभी नहीं मिट सकता है. 31 मार्च 1938 में पंजाब के कपूरथला में जन्मी शीला दीक्षित ने दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली.

भारतीय राजनीति में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक या दो नहीं बल्कि तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद न सिर्फ संभाला बल्कि दिल्ली के विकास की तस्वीर भी बदल दी.

देखें दिल्ली की शक्ल बदलने वाली शीला का सफरनामा

राजनीति में धाक जमाने वाली शीला ने दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से पढ़ाई की और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस कॉलेज से मास्टर्स ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की.

उनका राजनीतिक सफर 1984 से उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले से शुरू हुआ. शीला 1984 से 1989 तक कन्नौज की सांसद रहीं. इस दौरान वह लोकसभा की एस्टिमेट्स कमिटी का हिस्सा भी रहीं.

शीला दीक्षित को दिल्ली का चेहरा बदलने का श्रेय दिया जाता है और इस बात में कोई दोराय नहीं... उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में कई विकास कार्य हुए. वह 1998 में पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. उसके बाद 2003 और 2008 में भी दिल्ली की सत्ता पर शीला ही काबिज रहीं. उनका राजनीतिक सफर बस यहीं नहीं थमा, मुख्यमंत्री रहने के बाद शीला दीक्षित केरल की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं.

उनके कार्यकाल की खासबात यह है कि इस दौरान केंद्र में भाजपा की सरकार रही लेकिन इसके बावजूद शीला दीक्षित ने बेहतर तालमेल और अपनी सूझबूझ से ऐसे कई बड़े प्रोजेक्टस को लागू किया, जिससे दिल्ली और वहां रहने वालों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया.

इनमें मेट्रो, हाईवे, बिजली समेत कई अन्य प्रोजेक्टस शामिल हैं. शीला के इन कामों को न सिर्फ दिल्ली बल्कि देश भी हमेशा याद रखेगा. शीला दीक्षित ने 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन भी कराया, जिसमें 50 से अधिक देशों की टीमें दिल्ली आई.

सबसे अहम बात है कि शीला दीक्षित के 15 साल के कार्यकाल में ही दिल्ली को 24 घंटे बिजली मिलना शुरू हुई. कई पावर प्लांट लगाए गए इसके अलावा सरप्लस बिजली वाले राज्यों से समझौते कर शीला दीक्षित की सरकार ने दिल्ली में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की.

पढ़ें- दिल्ली वालों के लिए मां की तरह थीं शीला दीक्षित...

दिल्ली में फ्लाईओवर, सड़क, डीटीसी बस सेवा, अस्पताल, यूनिवर्सिटी और मेट्रो को स्थापित करने में शीला दीक्षित का बड़ा अहम योगदान माना जाता है. ब्लू लाइन बसों को हटाकर नये किस्म की बसों को डीटीसी के बेड़े में शामिल करने जैसे फैसले भी शीला ने ही किये थे.

इसके अलावा दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री रहते हुए सीएनजी की व्यवस्था की. एक समय दिल्ली को बीजेपी का गढ़ माना जाता था, लेकिन शीला दीक्षित ही वह नेता थीं, जिन्होंने बीजेपी के कब्जे से दिल्ली को निकालकर कांग्रेस को सत्ता पर बैठाया था.

ये देश उन्हें एक चहेती मुख्यमंत्री, शानदार नेता और एक महान शख्सियत के तौर पर हमेशा याद रखेगा, जिनकी राजनीति में कमी कोई पूरी नहीं कर सकता.

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Last Updated : Jul 21, 2019, 6:04 PM IST
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