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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बने केन्द्र शासित प्रदेश, जानें क्या आया बदलाव - विशेष राज्य का दर्जा खत्म

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं. जम्मू-कश्मीर विशेष राज्य का दर्जा खत्म किए जाने के बाद इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है. जानें केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद क्या-क्या बदलाव आएंगे.

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Published : Oct 31, 2019, 12:06 AM IST

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर आज से केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां कई बदलाव हो जाएंगे. इसके अंतर्गत प्रदेश में पुलिस तथा कानून-व्यवस्था सीधे केंद्र के नियंत्रण में रहेगी, जबकि भूमि वहां की चुनी हुई सरकार के अधीन होगी.

जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार, भूमि संबंधी अधिकार केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार के पास होगा. यह व्यवस्था दिल्ली के विपरीत होगी जहां दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के माध्यम से उपराज्यपाल का नियंत्रण है.

कानून में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा संविधान की राज्य सूची में शामिल किसी भी मामले में कानून बना सकती है, सिवाय प्रविष्टि संख्या एक और दो के विषयों क्रमश: ‘‘लोक व्यवस्था और पुलिस’’ को छोड़कर. साथ ही वह समवर्ती सूची के तहत विषयों पर भी कानून बना सकती है.

दिल्ली और पुडुचेरी दोनों की अपनी विधानसभा है तथा केंद्र उपराज्यपाल (एलजी) के माध्यम से पुलिस और कानून व्यवस्था नियंत्रित करता है.

भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा और जैसी अखिल भारतीय सेवाएँ और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) उपराज्यपाल के नियंत्रण में होंगी, न कि जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार के अधीन.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल नीत सरकार और उपराज्यपाल के बीच लगातार टकराव के प्रमुख कारणों में एसीबी और सेवाएँ शामिल हैं.

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार भूमि संबंधी अधिकार, कृषि भूमि का हस्तांतरण, भूमि सुधार और कृषि ऋण केंद्रशासित प्रदेश की चुनी हुई सरकार के अधीन होंगे.

भू-राजस्व, मूल्यांकन और संग्रह, भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव, राजस्व उद्देश्यों के लिए सर्वेक्षण और अधिकारों के रिकॉर्ड आदि भी जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की चुनी हुई सरकार के दायरे में आएंगे.

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पुलिस, कानून और व्यवस्था और भूमि उपराज्यपाल के नियंत्रण में होगी. अधिनियम के अनुसार लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.

31 अक्टूबर को दोनों नए केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आएंगे और जम्मू और कश्मीर का उच्च न्यायालय, दोनों नए केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय होगा.

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में 107 निर्वाचित विधायक होंगे और परिसीमन के बाद यह संख्या बढ़ाकर 114 की जाएगी. विधानसभा में 24 सीटें खाली रहेंगी क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आती हैं.

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर आज से केंद्र शासित प्रदेश बन जाएंगे. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां कई बदलाव हो जाएंगे. इसके अंतर्गत प्रदेश में पुलिस तथा कानून-व्यवस्था सीधे केंद्र के नियंत्रण में रहेगी, जबकि भूमि वहां की चुनी हुई सरकार के अधीन होगी.

जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार, भूमि संबंधी अधिकार केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार के पास होगा. यह व्यवस्था दिल्ली के विपरीत होगी जहां दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के माध्यम से उपराज्यपाल का नियंत्रण है.

कानून में कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा संविधान की राज्य सूची में शामिल किसी भी मामले में कानून बना सकती है, सिवाय प्रविष्टि संख्या एक और दो के विषयों क्रमश: ‘‘लोक व्यवस्था और पुलिस’’ को छोड़कर. साथ ही वह समवर्ती सूची के तहत विषयों पर भी कानून बना सकती है.

दिल्ली और पुडुचेरी दोनों की अपनी विधानसभा है तथा केंद्र उपराज्यपाल (एलजी) के माध्यम से पुलिस और कानून व्यवस्था नियंत्रित करता है.

भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा और जैसी अखिल भारतीय सेवाएँ और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) उपराज्यपाल के नियंत्रण में होंगी, न कि जम्मू-कश्मीर की चुनी हुई सरकार के अधीन.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल नीत सरकार और उपराज्यपाल के बीच लगातार टकराव के प्रमुख कारणों में एसीबी और सेवाएँ शामिल हैं.

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार भूमि संबंधी अधिकार, कृषि भूमि का हस्तांतरण, भूमि सुधार और कृषि ऋण केंद्रशासित प्रदेश की चुनी हुई सरकार के अधीन होंगे.

भू-राजस्व, मूल्यांकन और संग्रह, भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव, राजस्व उद्देश्यों के लिए सर्वेक्षण और अधिकारों के रिकॉर्ड आदि भी जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की चुनी हुई सरकार के दायरे में आएंगे.

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पुलिस, कानून और व्यवस्था और भूमि उपराज्यपाल के नियंत्रण में होगी. अधिनियम के अनुसार लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.

31 अक्टूबर को दोनों नए केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आएंगे और जम्मू और कश्मीर का उच्च न्यायालय, दोनों नए केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए साझा उच्च न्यायालय होगा.

केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में 107 निर्वाचित विधायक होंगे और परिसीमन के बाद यह संख्या बढ़ाकर 114 की जाएगी. विधानसभा में 24 सीटें खाली रहेंगी क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आती हैं.

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