नई दिल्ली : जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारत सरकार अपने सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) के साथ मिल कर 21-23 नवम्बर तक नई दिल्ली में ग्लोबल बायो इंडिया का आयोजन करने जा रही है. ग्लोबल बायो इंडिया के आयोजन के सिलसिले में गुरुवार को यहां एक पूर्वालोकन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने की
जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को 2024 तक भारत के पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था लक्ष्य में अहम योगदान देने वाला माना जा रहा है. भारत सरकार की नीतिगत पहल जैसे 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रमों का उद्देश्य भारत को विश्व स्तरीय जैव प्रौद्योगिकी नवाचार और जैव विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करना है.
बता दें, जैव प्रौद्योगिकी में 2018-19 के दौैरान भारत दुनिया में 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत के साथ शीर्ष 12 देशों में शामिल है.
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इस क्षेत्र के महत्व को पहचानते हुए ग्लोबल बायो इंडिया का काम जैव कृषि, जैव-उद्योग, जैव-उत्पादन और जैव-सेवा के क्षेत्र में अवसरों और प्रमुख चुनौतियों पर विचार-विमर्श करन होगा.
ग्लोबल बायो इंडिया के दौरान जैव भागीदारी, नीति संवाद, गोलमेज चर्चाएँ, वैश्विक नियम सम्मेलन, निवेशक सम्मेलन, देशों, मंत्रालयों, विभागों, राज्यों, स्टार्टअप्स और अन्य के प्रदर्शनी मंडप जैसे कार्यक्रम शामिल होंगे.
डॉ. हर्षवर्धन ने बाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि भारतीय जैव प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को अंतरराष्ट्रीय पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने के लिए ग्लोबल इंडिया कार्यक्रम में विक्षिन्न देशों से 3500 प्रतिनिधियों के आने की उम्मीद है.
वैज्ञानिक अनुसंधान और इसके व्यावसायीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दिखाने के लिए यह आयोजन एक अच्छा अवसर है. साथ ही इस दौरान नई साझेदारी और निवेश के अवसरों को बनाने में भारत को बहुत मदद मिलेगी.
इस कार्यक्रम से केंद्र और राज्य स्तर पर स्वदेशी अनुसंधान और विकास क्षमताओं के निवेश के मजबूत होने की उम्मीद है. वहीं देश के अंतिम हिस्सों तक नवीन किफायती उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को पहुंचाना भी है.
इस अवसर पर 'भारत में नैनोफार्मिक दवाओं के मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश' भी जारी किये गये.