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NRC को लेकर शाह के बयान पर भड़कीं विपक्षी पार्टियां

कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को लेकर दिये गये गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर विरोध जताया है. शाह ने बुधवार को राज्यसभा में एनआरसी बिल पर चर्चा के दौरान कहा था कि असम समेत पूरे देश में एनआरसी लागू करने की योजना है.

एनआरसी को लेकर शाह के बयान पर भड़की विपक्षी पार्टियां
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Published : Nov 20, 2019, 10:05 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 10:16 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सदन में जानकारी दी कि उनकी सरकार असम सहित पूरे भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) शुरू करेगी. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने शाह के इस कदम का विरोध किया है.

असम प्रदेश कांग्रेस समिति (APCC) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा, 'हम असम में NRC को फिर से लागू करने का विरोध करेंगे.'

एनआरसी को लेकर बात करते रिपुन बोरा.

उन्होंने कहा कि असम में 31 अगस्त का अंतिम एनआरसी एक अलग मामला था और वही बात उसी राज्य में फिर नहीं हो सकती.

बोरा ने कहा, 'लंबे समय तक 14 साल के अभ्यास के बाद NRC को असम में लागू किया गया और प्रकाशित किया गया, जिसमें NRC प्रकाशन प्रक्रिया से जुड़े 55000 से अधिक अधिकारियों के साथ 1600 करोड़ रुपये की लागत आई.'

हालांकि उन्होंने यह भी कहा, 'असम में अवैध विदेशियों के लिए कटौती की तारीख 25 मार्च, 1971 थी और मुझे नहीं लगता कि सरकार अवैध विदेशियों का पता लगाने के लिए अखिल भारतीय स्तर के एनआरसी को ले जाने के लिए एक ही समय पर विचार करेगी.

गौरतलब है कि 31 अगस्त को सरकार ने असम में 19 लाख से अधिक लोगों को छोड़कर अंतिम एनआरसी सूची प्रकाशित की है.

पढ़ें : कांग्रेस के NRC विरोध पर अमित शाह का तंज, कहा - घुसपैठिए मौसेरे भाई लगते हैं क्या?

बोरा ने कहा, सरकार को अब वास्तविक भारतीयों का पता लगाना चाहिए जिन्हें अंतिम एनआरसी सूचियों से बाहर रखा गया है और एक ही सूची में उनके नाम शामिल हैं.

वास्तव में, असम में NRC को ऐतिहासिक असम समझौते के एक खंड को लागू करने के लिए किया गया था.

इस समझौते पर 1985 में भारत सरकार, असम सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के बीच वर्षों पुराने असम आंदोलन को समाप्त करने के लिए हस्ताक्षर किये गये थे.

अंतिम NRC सूची सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रकाशित हुई थी.

हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिये गये बयान से पूरे भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं मिलने की संभावना है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि उनकी सरकार राज्य में एनआरसी को नहीं स्वीकार करेगी.

ममता ने नरेंद्र मोदी सरकार पर NRC और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के नाम पर 'धार्मिक राजनीति' खेलने का भी आरोप लगाया.

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सदन में जानकारी दी कि उनकी सरकार असम सहित पूरे भारत में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) शुरू करेगी. कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने शाह के इस कदम का विरोध किया है.

असम प्रदेश कांग्रेस समिति (APCC) के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा, 'हम असम में NRC को फिर से लागू करने का विरोध करेंगे.'

एनआरसी को लेकर बात करते रिपुन बोरा.

उन्होंने कहा कि असम में 31 अगस्त का अंतिम एनआरसी एक अलग मामला था और वही बात उसी राज्य में फिर नहीं हो सकती.

बोरा ने कहा, 'लंबे समय तक 14 साल के अभ्यास के बाद NRC को असम में लागू किया गया और प्रकाशित किया गया, जिसमें NRC प्रकाशन प्रक्रिया से जुड़े 55000 से अधिक अधिकारियों के साथ 1600 करोड़ रुपये की लागत आई.'

हालांकि उन्होंने यह भी कहा, 'असम में अवैध विदेशियों के लिए कटौती की तारीख 25 मार्च, 1971 थी और मुझे नहीं लगता कि सरकार अवैध विदेशियों का पता लगाने के लिए अखिल भारतीय स्तर के एनआरसी को ले जाने के लिए एक ही समय पर विचार करेगी.

गौरतलब है कि 31 अगस्त को सरकार ने असम में 19 लाख से अधिक लोगों को छोड़कर अंतिम एनआरसी सूची प्रकाशित की है.

पढ़ें : कांग्रेस के NRC विरोध पर अमित शाह का तंज, कहा - घुसपैठिए मौसेरे भाई लगते हैं क्या?

बोरा ने कहा, सरकार को अब वास्तविक भारतीयों का पता लगाना चाहिए जिन्हें अंतिम एनआरसी सूचियों से बाहर रखा गया है और एक ही सूची में उनके नाम शामिल हैं.

वास्तव में, असम में NRC को ऐतिहासिक असम समझौते के एक खंड को लागू करने के लिए किया गया था.

इस समझौते पर 1985 में भारत सरकार, असम सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के बीच वर्षों पुराने असम आंदोलन को समाप्त करने के लिए हस्ताक्षर किये गये थे.

अंतिम NRC सूची सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रकाशित हुई थी.

हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में दिये गये बयान से पूरे भारत में तीखी प्रतिक्रियाएं मिलने की संभावना है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि उनकी सरकार राज्य में एनआरसी को नहीं स्वीकार करेगी.

ममता ने नरेंद्र मोदी सरकार पर NRC और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) के नाम पर 'धार्मिक राजनीति' खेलने का भी आरोप लगाया.

Intro:New Delhi: Hours after Union Home Miniater Amit Shah on Wednesday told in the Parliament that his government will start National Register of Citizen (NRC) in across India including Assam, Congress has vehemently opposed the move.


Body:Assam Pradesh Congress Committee (APCC) president Ripun Bora said, "We will oppose re-implementation of NRC in Assam."

He said that August 31 final NRC in Assam was a special case and "same thing can't happen in a state which has faced the burnt of illegal foreigners."

"After a long 14 years of exercise NRC was implemented and published in Assam which cost the exchquer an amount of Rs 1600 crore with more than 55000 officials engaged with the NRC publication process, " said Bora.

He, however said that cut of date for illegal foreigners in Assam was 25th March, 1971 "and I don't think government will consider the same timeline for carrying out all India level NRC to detect illegal foreigners."

On August 31, the government has published the final NRC list in Assam excluding more than 19 lakhs people. "The government should now find out the genuine Indians who have been excluded from the final NRC lists and include their names in the same lists," said Bora.

In fact, NRC in Assam was carried implementing one of the clause of the historic Assam Accord. The accord was signed in 1985 between government of India, Assam Government and All Assam Students Union (AASU) ending years long Assam agitation.

The final NRC list was published under the monitoring of the Supreme Court.


Conclusion:However, Home Minister Amit Shah's statement in the Rajya Sabha is likely to generate more sharp reactions from across India.

West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee has already declared that her government will not carry NRC in The state.

Mamata even accused the Narendra Modi Government of playing 'religious politics' in the name of NRC and Citizenship Amendment Bill (CAB).


end
Last Updated : Nov 20, 2019, 10:16 PM IST
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