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सिविल जज परीक्षा मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए बढ़ी

गुरुवार को कोर्ट ने पहले मॉडल आंसर और सुधार किए गए मॉडल आंसर के अनुसार चयनित 427 अभ्यर्थियों के कितने नंबर आए थे इसकी जानकारी पीएससी से मांगी थी. जानकारी नहीं मिलने के कारण कोर्ट ने मामले की सुनवाई 21 जनवरी तक के लिए बढ़ा दी है.

chhattisgarh high court
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
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Published : Jan 17, 2020, 3:23 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 9:01 PM IST

बिलासपुर: सिविल जज परीक्षा मामले में सुनवाई की तारीख मंगलवार तक बढ़ा दी गई है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होनी है. गुरुवार को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों के नंबर की जानकारी पीएससी से मांगी थी. शनिवार पीएससी को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को जवाब देना था, लेकिन जानकारी नहीं दे पाने के कारण मामले को मंगलवार के लिए बढ़ा दिया गया है.

सिविल जज परीक्षा मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए बढ़ी

गुरुवार को कोर्ट ने पहले मॉडल आंसर और सुधार किए गए मॉडल आंसर के अनुसार चयनित 427 अभ्यर्थियों के कितने नंबर आए थे इसकी जानकारी पीएससी से मांगी थी. साथ ही जिन 8 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर आपत्ति जताई थी उनके भी नंबर की जानकारी कोर्ट ने मांगी थी. चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पी.पी साहू की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई थी.

दोबारा सिविल जज परीक्षा लेने का आदेश
बता दें कि पिछले साल मई में पीएससी ने सिविल जज की परीक्षा ली थी. इसका रिजल्ट जुलाई में आया था. छात्रों ने परीक्षा में पूछे गए सवालों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इस पर फैसला सुनाते हुए 15 नवंबर को पीएससी ने सिविल जज के एग्जाम को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था. उच्च न्यायालय ने पीएससी को छात्रों से बिना अतिरिक्त शुल्क लिए दोबारा सिविल जज परीक्षा लेने का आदेश दिया था.

दो मामलों में एक साथ चल रही सुवनाई
कुल 8 छात्रों ने मामले में याचिका दायर की थी. जिस पर जस्टिस गौतम भादुरी की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. वहीं सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ पीएससी और 5 ऐसे छात्रों ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की थी जिनका चयन उस सिविल जज की परीक्षा में हो रहा था. जिस पर एक साथ सुनवाई हो रही है.

बिलासपुर: सिविल जज परीक्षा मामले में सुनवाई की तारीख मंगलवार तक बढ़ा दी गई है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होनी है. गुरुवार को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों के नंबर की जानकारी पीएससी से मांगी थी. शनिवार पीएससी को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को जवाब देना था, लेकिन जानकारी नहीं दे पाने के कारण मामले को मंगलवार के लिए बढ़ा दिया गया है.

सिविल जज परीक्षा मामले की सुनवाई मंगलवार के लिए बढ़ी

गुरुवार को कोर्ट ने पहले मॉडल आंसर और सुधार किए गए मॉडल आंसर के अनुसार चयनित 427 अभ्यर्थियों के कितने नंबर आए थे इसकी जानकारी पीएससी से मांगी थी. साथ ही जिन 8 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर आपत्ति जताई थी उनके भी नंबर की जानकारी कोर्ट ने मांगी थी. चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पी.पी साहू की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई थी.

दोबारा सिविल जज परीक्षा लेने का आदेश
बता दें कि पिछले साल मई में पीएससी ने सिविल जज की परीक्षा ली थी. इसका रिजल्ट जुलाई में आया था. छात्रों ने परीक्षा में पूछे गए सवालों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इस पर फैसला सुनाते हुए 15 नवंबर को पीएससी ने सिविल जज के एग्जाम को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था. उच्च न्यायालय ने पीएससी को छात्रों से बिना अतिरिक्त शुल्क लिए दोबारा सिविल जज परीक्षा लेने का आदेश दिया था.

दो मामलों में एक साथ चल रही सुवनाई
कुल 8 छात्रों ने मामले में याचिका दायर की थी. जिस पर जस्टिस गौतम भादुरी की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. वहीं सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ पीएससी और 5 ऐसे छात्रों ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की थी जिनका चयन उस सिविल जज की परीक्षा में हो रहा था. जिस पर एक साथ सुनवाई हो रही है.

Intro:सिविल जज परीक्षा मामले में सुनवाई मंगलवार के लिए बढ़ गई है। कल कोर्ट ने फर्स्ट मॉडल आंसर व अमेंडेड मॉडल आंसर के अनुसार चयनित 427 के कितने नंबर आए थे यह जानकारी पीएससी से मांगी थी। साथ ही जिन 8 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर आपत्ति जताई थी उनके भी नंबर की जानकारी कोर्ट ने पीएससी से मांगी थी। आज पीएससी को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को देना था जवाब। लेकिन आज जानकारी नहीं दे पाने के कारण मामले को मंगलवार के लिए बढ़ा दिया गया है। चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन व पी.पी साहू की डिवीजन बेंच में हुई मामले पर सुनवाई। Body:बता दें कि पिछले साल मई में पीएससी ने सिविल जज की परीक्षा ली थी जिसका रिजल्ट जुलाई में आया था। छात्रों द्वारा परीक्षा में पूछे गए सवालों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इस पर फैसला सुनाते हुए 15 नवंबर को पीएससी द्वारा लिए गए सिविल जज के एग्जाम को उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने पीएससी को छात्रों से बिना अतिरिक्त शुल्क लिए दोबारा सिविल जज परीक्षा लेने का आदेश जारी किया था। कुल 8 छात्रों ने मामले में याचिका दायर की थी। जिस पर जस्टिस गौतम भादुरी की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था । सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ पीएससी व वे छात्र हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील कर दी जिनका चयन उस सिविल जज की परीक्षा में हो रहा था । Conclusion:कुल 5 छात्रों ने सिंगल बेंच के फैसले को डिविजन बेंच में चुनौती दी है। साथ ही पीएससी ने भी हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले को डिविजन बेंच में चुनौती दी है। जिस पर एक साथ सुनवाई हो रही है।
Last Updated : Jan 17, 2020, 9:01 PM IST
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