नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने असम के कछार जिले में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के निर्माण कार्य गतिविधियों पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि, जब तक पर्यावरण विभाग की परियोजना पर क्लियरेंस रिपोर्ट अदालत तक नहीं पहुंच जाती है, तब तक ये रोक बनी रहेगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के निर्माण कार्य गतिविधियों पर रोक लगा दी है. जनहित याचिका में दावा किया गया है कि, 40 लाख से अधिक चाय की झाड़ियों को उखाड़ दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि, वर्तमान मामले में अधिकारियों ने एनवायरनमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट (ईआईए) अधिसूचना का उल्लंघन किया है. 2006 में बिना किसी पर्यावरण मंजूरी के साइट पर व्यापक मंजूरी दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने कछार के जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव द्वारा दायर रिपोर्ट की भी जांच करते हुए निर्देश दिया कि आगे कोई भी गतिविधि नहीं की जाएगी.
पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कहा कि, उनका स्पष्ट मानना है कि, वर्तमान मामले में अधिकारी 14 सिंतबर 2006 की अधिसूचना के पैराग्राफ दो में निहित प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं. रोक और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि,'हमारा मानना है कि वर्तमान मामले में अधिकारियों ने पर्यावरण मंजूरी के अभाव में साइट पर व्यापक निकासी करके अधिसूचना का उल्लंघन किया है. जिसके कारण 335 हेक्टेयर भूमि पर एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा स्थापित करने का प्रस्ताव आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हवाईअड्डे के संबंध में निर्णय निसंदेह नीति का मामला है. हालांकि 'जब कानून पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता वाली गतिविधियों को पूरा करने के लिए विशिष्ट मानदंड निर्धारित करता है, तो कानून के प्रावधानों का विधिवत पालन किया जाना चाहिए'. पीठ ने स्पष्ट किया कि सितंबर 2006 की अधिसूचना के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए कोई भी गतिविधि नहीं की जाएगी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की अपने कर्तव्य से पूरी तरह से विमुख होने के लिए आलोचना करते हुए पीठ ने कहा कि, याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज करने से पहले उनकी शिकायत की प्रमाणिकता को सत्यापित करना राष्ट्रीय हरित अधिकरण का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य था. पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से यह विचार है कि वर्तमान मामले में अधिकारियों ने पर्यावरणीय मंजूरी के अभाव में साइट पर व्यापक मंजूरी देकर ईआईए अधिसूचना का उल्लंघन किया है.
सुनवाई के दौरान, असम सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता के अधिकार क्षेत्र का विरोध किया. याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार ने जमीन पर कब्जा ले लिया है और तब से अब तक 41 लाख चाय के झाड़ियां और छायादार पेड़ काट दिए गए हैं. याचिकाकर्ताओं ने एक व्यापक ईआईए आयोजित होने तक हवाई अड्डे के निर्माण से संबंधित आगे की कार्रवाई को रोकने का निर्देश देने की मांग की.
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