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हवाई किराया को नियंत्रित करने की मांग खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- ऑटो का किराया इससे ज्यादा - Air Fare Case

Air Fare Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर टिकट के फेयर को कंट्रोल करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने टिप्पणी की कि एयरलाइन इंडस्ट्री प्रतियोगिता के बीच काफी अच्छा कर रही है. कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं. आज ऑटो रिक्शा का किराया हवाई किराये से ज्यादा है.

फाइल फोटो.
फाइल फोटो. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 15, 2024, 9:11 PM IST

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने हवाई उड़ानों के किराये की सीमा तय करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एयरलाइन इंडस्ट्री काफी प्रतियोगी है और एयरलाइंस कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं. ऐसे में इस मामले में कोर्ट को कोई भी आदेश देना ठीक नहीं होगा.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बाजार के नियामक हवाई टिकटों की कीमत तय करते हैं. एयरलाइन इंडस्ट्री प्रतियोगिता के बीच काफी अच्छा कर रही है. कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं. आज ऑटो रिक्शा का किराया हवाई किराये से ज्यादा है. हालांकि, एयरलाइन इंडस्ट्री में निवेश भी काफी आ रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ चुनिंदा वाकयों के आधार पर याचिका में मांगी गई मांगें मानी जा सकती हैं. ये सेक्टर काफी सुनियोजित है और अगर कोई सेक्टर अच्छा कर रहा है तो उसमें बहुत बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ेंः AAP सांसद संजय सिंह ने की स्वाति मालीवाल से मुलाकात, मीडिया के सवालों पर साधी चुप्पी

दरअसल, हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं. एक याचिका वकील अमित साहनी ने और दूसरा उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता बिजॉन मिश्रा ने दायर किया था. याचिका में मांग की गई थी कि हवाई किराया की सीमा तय करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाना चाहिए ताकि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों से मनमाना किराया नहीं वसूल सकें. सुनवाई के दौरान नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हवाई किराया रूट और हवाई जहाजों की उपलब्धता पर निर्भर करता है. कई बार तो काफी कम यात्री होने के बावजूद एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं.

यह भी पढ़ेंः लैंड फॉर जॉब मामले के आरोपी अमित कात्याल की जमानत पर फैसला सुरक्षित, 21 मई को सुनाया जाएगा फैसला

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने हवाई उड़ानों के किराये की सीमा तय करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि एयरलाइन इंडस्ट्री काफी प्रतियोगी है और एयरलाइंस कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं. ऐसे में इस मामले में कोर्ट को कोई भी आदेश देना ठीक नहीं होगा.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बाजार के नियामक हवाई टिकटों की कीमत तय करते हैं. एयरलाइन इंडस्ट्री प्रतियोगिता के बीच काफी अच्छा कर रही है. कंपनियां काफी घाटे में चल रही हैं. आज ऑटो रिक्शा का किराया हवाई किराये से ज्यादा है. हालांकि, एयरलाइन इंडस्ट्री में निवेश भी काफी आ रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि कुछ चुनिंदा वाकयों के आधार पर याचिका में मांगी गई मांगें मानी जा सकती हैं. ये सेक्टर काफी सुनियोजित है और अगर कोई सेक्टर अच्छा कर रहा है तो उसमें बहुत बदलाव नहीं किया जाना चाहिए.

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दरअसल, हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं. एक याचिका वकील अमित साहनी ने और दूसरा उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता बिजॉन मिश्रा ने दायर किया था. याचिका में मांग की गई थी कि हवाई किराया की सीमा तय करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाना चाहिए ताकि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों से मनमाना किराया नहीं वसूल सकें. सुनवाई के दौरान नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि हवाई किराया रूट और हवाई जहाजों की उपलब्धता पर निर्भर करता है. कई बार तो काफी कम यात्री होने के बावजूद एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं.

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